भू-पर्यवेक्षण उपग्रह समेत 10 उपग्रह का किया सफल प्रक्षेपण
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारत ने अपने नवीनतम भू-पर्यवेक्षण उपग्रह ईओएस-01 तथा अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के नौ उपग्रहों को शनिवार को यहां ध्रुवीय रॉकेट से प्रक्षेपित किया। कोविड-19 महामारी के बीच यह इस साल का पहला अंतरिक्ष मिशन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत के नवीनतम भू-पर्यवेक्षण उपग्रह ईओएस-01 और ग्राहकों के नौ अन्य उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और देश के अंतरिक्ष उद्योग जगत को बधाई दी और कहा कि कोविड-19 महामारी के दौर में वैज्ञानिकों को निश्चित समय सीमा में इस सफलता को हासिल करने के लिए कई अवरोधों से गुजरना पड़ा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी49) ने चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर दूर यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से अपराह्न तीन बजकर 12 मिनट पर प्रक्षेपण के करीब 20 मिनट के बाद ईओएस-01 व अन्य उपग्रहों को एक के बाद एक कक्षा में स्थापित किया। ईओएस-01 से कृषि, वानिकी और आपदा प्रबंधन में मदद मिलेगी। यह कोविड-19 महामारी के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से पटरी से उतरे तयशुदा 10 प्रक्षेपण कार्यक्रम प्रभावित होने के बाद इस साल का पहला प्रक्षेपण है। इसरो ने आज अमेरिका, लिथुआनिया और लक्जमबर्ग के उपग्रह प्रक्षेपित किये।
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने मिशन को सफल करार देते हुए इसे इसरो के लिये असामान्य बताया क्योंकि एक रॉकेट वर्क फ्रॉम होम की तरह नहीं हो सकता और सभी इजीनियरों और टेक्नीशियनों को विभिन्न केंद्रों से सफर कर यहां आकर श्रीहरिकोटा में रॉकेट प्रक्षेपण के लिये साथ मिलकर काम करना पड़ता है। उन्होंने मिशन नियंत्रण केंद्र में कहा, आज, मैं यह घोषित करते हुए बेहद खुश हूं कि पीएसएलवी-सी49 ने भू-पर्यवेक्षण उपग्रह ईओएस-01 और ग्राहकों के नौ उपग्रहों को सटीक तरीके से 575 किलोमीटर की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।
सिवन ने कहा कि सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद प्राथमिक उपग्रह ने अपने काम का संचालन शुरू कर दिया और सौर पैनल भी खोल दिये हैं। महामारी के मद्देनजर इसरो में कोविड-19 को लेकर ऐहतियात बरती जा रही है और वैज्ञानिक, मिशन निदेशकों, परियोजना निदेशकों को मिशन नियंत्रण केंद्र में चेहरे पर मास्क लगाए और सामाजिक दूरी के नियम का पालन करते हुए देखा गया। इस दौरान मीडिया कर्मी मौजूद नहीं थे और दर्शक दीर्घा भी बंद थी। इसरो ने प्रक्षेपण के सीधे प्रसारण के लिये अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया मंचों समेत विभिन्न माध्यमों पर व्यवस्था की थी।
पीएसएलवी-सी49 44.5 मीटर लंबा है और उसने अपनी 51वीं उड़ान के तहत एसडीएससी के पहले लॉन्च पैड से 26 घंटों की उल्टी गिनती के बाद दोपहर बाद तीन बजकर 12 मिनट पर उड़ान भरी। यह प्रक्षेपण पहले अपराह्न तीन बजकर दो मिनट पर निर्धारित था लेकिन प्रक्षेपण से करीब 15 मिनट पहले वैज्ञानिकों ने रॉकेट के मार्ग में मलबे और खराब मौसमी परिस्थितियों के मद्देनजर इसे कुछ देर टालने का फैसला किया। करीब 10 मिनट की देरी के बाद भारी बारिश के बीच रॉकेट ने उड़ान भरी। सभी चार चरणों के तयशुदा कार्यक्रम के मुताबिक उड़ान के बाद रॉकेट ने सबसे पहले प्राथमिक उपग्रह ईओएस-01 को प्रक्षेपण के करीब 15 मिनट बाद कक्षा में स्थापित किया, इसके बाद ग्राहकों के उपग्रहों को जैसे-जैसे इसने कक्षा में स्थापित किया, मिशन केंद्र में मौजूद वैज्ञानिकों के चेहरों पर मुस्कान बिखरी नजर आई।
पीएसएलवी के मिशन निदेशक एसआर बीजू ने घोषणा की कि सभी 10 उपग्रह अलग हो गए हैं और उन्हें इच्छित कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, पीएसएलवी-सी49ाईओएस-01 मिशन पूरी तरह सफल। ग्राहकों के उपग्रहों का प्रक्षेपण इसरो की व्यावसायिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ हुए समझौतों के तहत किया गया। लिथुआनिया का आर2 उपग्रह तकनीकी प्रदर्शन के लिये है जबकि लक्जमबर्ग के चार उपग्रह क्लीओस (केएसएम-।एा।बीा।सीा।डी) नौवहन उपयोग के लिये हैं। इसरो ने कहा कि चार अन्य उपग्रह अमेरिका के (लीमर-।,2,3,4) हैं जो बहुमिशन सुदूर संवेदी उद्देश्यों के लिये हैं।