तेहरान। ईरान ने रविवार को कहा कि वह उस स्थिति में अमेरिका के साथ बातचीत पर विचार कर सकता है जब वार्ता उसके परमाणु कार्यक्रम के सैन्यीकरण की चिंताओं तक ही सीमित हो। संयुक्त राष्ट्र के लिए ईरान के मिशन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, यदि वार्ता उसके परमाणु कार्यक्रम के सैन्यीकरण की चिंताओं तक ही सीमित है तो ऐसी चर्चाओं पर विचार किया जा सकता है।
इससे एक दिन पहले ईरान के सर्वाेच्च नेता अली खामनेई ने अमेरिका के साथ वार्ता को अस्वीकार कर दिया था और कहा था कि उसका उद्देश्य ईरान के मिसाइल कार्यक्रम पर रोक लगाना है। दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने ईरान को एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने तथा अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका को जिस परमाणु समझौते से अलग कर लिया था, उसके स्थान पर एक नया समझौता करने की बात की है।
ट्रंप की बात के बाद खामनेई ने वार्ता से इनकार कर दिया था। खामनेई ने कहा कि अमेरिका की मांगें सेना से जुड़ी और ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव से संबंधित होंगी। उन्होंने कहा था कि ऐसी वार्ताओं से ईरान और पश्चिमी देश के बीच की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। रविवार को जारी ईरान के सरकारी बयान में सैन्यीकरण के संबंध में चिंताओं को लेकर बातचीत पर रजामंदी जताई गई लेकिन इस बात पर जोर दिया गया कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत नहीं करेगा क्योंकि ये कार्यक्रम शांतिप्रिय उद्देश्यों के लिए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के लिए ईरान के मिशन ने कहा, हालांकि, यदि इसका उद्देश्य ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना है और यह दावा करना है कि जो हासिल करने में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा विफल रहे, वह अब पूरा हो गया है, तो ऐसी वार्ता कभी नहीं होगी।