आयोडीन अल्पतता विकार निवारण दिवस कल
वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी गर्भस्थ शिशु के लिए घातक हो सकती है। इससे न सिर्फ उसका शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होता है बल्कि गर्भवती में प्रीमेच्योर डिलीवरी की भी सम्भावना बढ़ जाती है। चिकित्सकों का कहना है कि गर्भावस्था में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन युक्त नमक का सेवन जरूर करना चाहिए।
संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइन विभाग के डा. सुभाष यादव बतााते हैं कि शरीर में थायरायड हार्मोन का उत्पादन करने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। जिन महिलाओं में आयोडीन की कमी होती है उन महिलाओं में थायरॉयड की कार्य प्रणाली बाधित होती है, जिसका असर उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की कमी होने पर बच्चा असामान्य हो सकता है और गर्भपात की स्थिति भी आ सकती है।
यदि गर्भवती महिला के शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास रुक सकता है। गर्भ में पल रहे बच्चे का मेटाबोलिस्म भी कम हो जाता है। मस्तिष्क के विकास के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। आयोडीन की कमी से हाइपोथायरायडिज्म सबसे आम समस्याओं में से एक है। आयोडीन की कमी से बच्चों का मानसिक विकास कमजोर होता है, ऊर्जा में कमी आती है, जल्द थकान आती है।
आयोडीन की कमी से गूंगा-बहरा, घेंघा रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। थायरायड के दो प्रकार होते हैं हाइपरथायरायड व हाइपोथायरायड। हाइपरथायरायड में व्यक्ति का वजन तेजी से घटता है जबकि हाइपोथायरायड पीड़ित का शरीर फूलता जाता है। उम्र के हिसाब से शरीर में आयोडीन की आवश्यकता अलग-अलग होती है।
11 माह तक के बच्चे को प्रतिदिन 50 माइक्रो ग्राम, पांच साल तक की उम्र के बच्चे को प्रतिदन 90 माइक्रो ग्राम, 6-12 साल तक के बच्चे के लिए 120 माइक्रो ग्राम और 12 साल से अधिक की आयु के लिए 150 माइक्रो ग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन 220 माइक्रोग्राम और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रतिदिन 290 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करना चाहिए।