लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि प्रदेश की जनता का सत्तारुढ़ भाजपा सरकार के प्रति गहराते असंतोष से शीर्ष भाजपा नेतृत्व भलीभांति परिचित हो गया है। आने वाले विधानसभा चुनाव में उसके हाथ से सत्ता फिसलता देख हताश-निराश भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक महीने में चित्रकूट, वृंदावन और लखनऊ में बैठकें हुई हैं। इन बैठकों का एजेंडा साजिशी रणनीति बनाना है ताकि किसानों और करोड़ों बेरोजगार नौजवानों से किये गये वादों को किसी तरह भुलाया जा सके और लोगों को बहकाने के लिए नये-नये तरीके ढ़ूंढे जायें।
अखिलेश ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौर में प्रदेश की जनता को आक्सीजन, बेड और दवाओं का अभाव झेलना पडा है। लोगों के रोजगार छिन गये। उद्योग धंधे और व्यापार बंद हो गये। उन्होंने कहा कि सपा की सरकार बनी तो कोविड काल से सभी कार्यों की जांच करायी जायेगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। अखिलेश ने कहा कि दरअसल भाजपा की मुसीबत यह है कि साढ़े चार साल की सरकार में भी उसके पास गिनाने के लिए एक भी योजना नहीं है। प्रशासन पर उसकी पकड़ न होने से हर मोर्चे पर विफलता मिली है। हवाई वादों और कागजी सफलताओं के प्रचार से जनता ऊबी हुई है। भाजपा का मातृ संगठन इन हालातों से चिंतित है और लगातार चिंतन-मनन में जुटा है। इन बैठकों से अब तक एक ही निष्कर्ष निकला है कि गुमराह करने की रणनीति ही काम आयेगी। पर वे भूलते हैं कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने अपने 2017 के संकल्प-पत्र (घोषणा-पत्र) में जो भी वादे किये थे वे सभी धूल चाट रहे हैं। किसानों को उनकी फसल का लाभप्रद मूल्य दिलाने, उनकी आय दुगनी करने के वादे थे पर भाजपा की सरकार ने उल्टे उन पर तीन काले कृषि कानून लाद दिये। इन कानूनों का लाभ पूंजी घरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को मिलना है जबकि किसान की खेती का स्वामित्व भी उसके हाथ से निकल जायेगा। अखिलेश ने कहा कि भाजपा की वादों की भूलभुलैया जब बेनकाब होने लगी है तो भाजपा के साथ आरएसएस सत्ता पर काबिज होने के लिए व्याकुल हो उठा है। चित्रकूट में पांच दिन, वृंदावन में पांच दिन की कार्यशाला के बाद लखनऊ में मैराथन बैठकों से जाहिर हो गया है कि भाजपा के समानांतर आरएसएस है और भाजपा उसकी कठपुतली है। इन दोनों के चंगुल से लोकतंत्र को मुक्त कराने का काम सपा ही कर सकती है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार और संघ की सक्रियता के चलते वस्तुत: प्रदेश की अस्मिता को भी खतरा है। देश का शासन संविधान से चलता है पर संघ-भाजपा अपना नया संविधान थोपना चाहते हैं। इस विधान में विकास का स्थान नहीं है।