नई दिल्ली। रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने गुरुवार को कहा कि भारत और रूस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का निर्यात फिलिपीन तथा कुछ अन्य देशों को करने का विचार कर रहे हैं। भारत-रूस संयुक्त उपक्रम द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण किया जाता है और इसे पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीनी प्लेटफॉर्म से छोड़ा जा सकता है।
मिसाइल निर्यात किए जाने पर होने वाली वार्ता से अवगत सूत्रों ने बताया कि भारत के अगले साल के आरंभ में ब्रह्मोस के एक बेड़े की आपूर्ति के लिए फिलिपीन के साथ समझौता करने की संभावना है। पिछले कुछ हफ्ते में विभिन्न स्थानों से मिसाइल के नए संस्करण के कई परीक्षण किए गए हैं।
मिसाइल के नए संस्करण का रेंज 400 किलोमीटर तक बढ़ाया गया है जबकि इसके मूल संस्करण का रेंज 290 किलोमीटर था। इसकी रफ्तार 2.8 मैक है, जो कि ध्वनि से करीब तीन गुणा तेज है। बाबुश्किन ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा, मौजूदा संस्करण के सारे परीक्षण सफल रहे हैं। इस विशिष्ट मिसाइल की रेंज बढ़ाने के लिए परीक्षण किए गए थे। हम आरंभ में फिलिपीन, इसके बाद अन्य देशों को इसका निर्यात करने जा रहे हैं। पता चला है कि भारत ने मिसाइल की आपूर्ति के लिए फिलिपीन के साथ आरंभिक दौर की वार्ता की है।
ब्रह्मोस के एक संस्करण को 18 अक्टूबर को अरब सागर में भारतीय नौसेना के विध्वंसक पोत से छोड़ा गया था। इसके कुछ दिन बाद बंगाल की खाड़ी में भारतीय वायु सेना ने सुखोई लड़ाकू विमान से इसका परीक्षण किया था। खाड़ी क्षेत्र के देशों समेत कुछ अन्य देशों ने मिसाइल खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। भारत लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश में चीन से लगी सीमा के पास कई रणनीतिक स्थानों पर मूल ब्रह्मोस मिसाइलों की तैनाती कर चुका है। वायु सेना 40 से ज्यादा सुखोई लड़ाकू विमानों में भी ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों को जोड़ रहा है जिससे सेना की ताकत में और इजाफा होगा।





