भरती अर्थव्यवस्थाओं के सशक्त समूह ब्रिक्स का 12वां शिखर सम्मेलन संपन्न हो गया। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को दुनिया के लिए सबसे बड़ी समस्या बताते हुए दो टुक कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आतंकियों का समर्थन और मदद करने वाले देशों को भी दोषी ठहराया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधा इशारा सम्मेलन में उपस्थित चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर था जो परोक्ष रूप से आतंकवाद के गढ़ बन चुके पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं। आतंकवाद के मुद्दे को गंभीरता से उठाने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। गौर करें तो ब्रिक्स देशों द्वारा जारी घोषणापत्र में आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र रुख पर हामी भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकी गतिविधियों की रोकथाम के लिए समुचे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को व्यापक और संतुलित नजरिया अपनाने की जरुरत है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक निकायों में सुधार की जरुरत है।
याद होगा चीन के शियामेन शहर में संपन्न नौंवे शिखर सम्मेलन में भी भारत ने आतंकवाद का मसला जोर-शोर से उठाया था और उसके कहने पर ही पाकिस्तान पोषित आतंकवादी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान पर नकेल कसने की सहमति बनी थी। इसी तरह गोवा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स देशों से आह्वान किया था कि वे संयुक्त राष्ट्र के ‘कंप्रिहेंसिव कनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म’ (सीसीआइटी) के जल्द अनुमोदन के लिए मिलकर काम करें ताकि आतंकवाद का मुकाबला किया जा सके।
ब्रिक्स के 12 शिखर सम्मेलन में आतंकवाद से निपटने की चुनौती पर विमर्श के साथ-साथ आर्थिक मसलों पर भी सदस्य देशों के बीच व्यापक विचार-विमर्श हुआ है। सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच व्यापार-कारोबार क्षेत्र में एक दूसरे की मदद करने, विकास परियोजनाओं में मदद को तेज करने, आपसी सहयोग से मौद्रिक नीति को अनुकूल बनाने, प्राकृतिक संपदा का संरक्षण तथा पर्यावरण सुरक्षा के प्रति संवेदनशील रुख अपनाने पर सहमति बनी है। नि:संदेह इस पहल से ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच आपसी तालमेल बढ़ेगा।
ब्रिक्स की उपलब्धियों और चुनौतियों पर नजर दौड़ाएं तो 2009 में रूस के शहर येकाटेंरिनवर्ग से शुरु हुई यह यात्रा उपलब्ध्यिों से भरी है। ब्रिक्स के सदस्य देश आने वाले समय की उभरती हुई शानदार अर्थव्यवस्थाएं हैं और आने वाले दशकों में अमेरिका और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ देते हैं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।