नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ऊर्जा क्षेत्र में हाल में किए गए सुधारों को जिक्र करते हुए कहा कि भारत वैश्विक ऊर्जा की मांग को गति देगा। सेरा वीक के भारत ऊर्जा मंच को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण वैश्विक ऊर्जा मांग में एक-तिहाई की कमी आई है। निवेश पर असर पड़ा है और अगले कुछ साल मांग में नरमी का अनुमान है।
उन्होंने कहा, लेकिन भारत की ऊर्जा खपत दीर्घकाल में दोगुनी होगी। मोदी ने कहा कि हमारा ऊर्जा क्षेत्र वृद्घि केंद्रित, निवेशक अनुकूल और पर्यावरण के प्रति सचेत है। भारत तेजी से स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विकास कर रहा है। उन्होंने कहा, भारत जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्रतिबद्घता (सीओपी21) की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हमने 2022 तक 1,75,000 मेगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का जो लक्ष्य रखा है, उसको लेकर प्रतिबद्ध हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, हमने 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 4,50,000 मेगावॉट करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत उन गिने-चुने देशों में है, जहां कार्बन उत्सर्जन कम है। उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में पिछले पांच साल में किए गए सुधारों का जिक्र करते हुए तेल एवं गैस खोज और उत्पादन क्षेत्र के साथ-साथ गैस विपणन क्षेत्र में बदलाव को रेखांकित किया।
मोदी ने कहा, भारत का ऊर्जा क्षेत्र पिछले पांच साल में तेजी से बढ़ा है। उन्होंने कहा कि हमारा जोर भारत को गैस-आधारित अर्थव्यवस्था बनाने का है। हमने तेल रिफाइनिंग क्षमता मौजूदा 25 करोड़ टन से बढ़ाकर 2025 तक 45 करोड़ टन करने का लक्ष्य रखा है और इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का ऊर्जा भविष्य उज्ज्वल अैर सुरक्षित है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा तक पहुंच सस्ती और भरोसेमंद होनी चाहिए।