लखनऊ से विशेष रिपोर्ट
लखनऊ। परमाणु निरस्त्रीकरण, विश्व शांति और पर्यावरण संगठन (ONDWPE) ने शुक्रवार को लखनऊ के हजरतगंज स्थित कैथेड्रल हॉल में एक भव्य अंतरधार्मिक प्रार्थना सभा का आयोजन किया। इस सभा की अध्यक्षता डॉ. अम्मार रिज़वी ने की और इसका नेतृत्व बिशप जेराल्ड मैथियस ने किया। आयोजन का उद्देश्य था—विश्व शांति, भाईचारे और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट आवाज़ बुलंद करना।
इस विशेष सभा में बौद्ध, हिंदू, ईसाई, मुस्लिम, जैन, पारसी और यहूदी धर्मों के प्रमुख धार्मिक नेताओं ने हिस्सा लिया। सभी धर्मगुरुओं ने मिलकर मानवता और विश्व में स्थायी शांति की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने दोहराया कि भारत एक शांति प्रिय देश है और हर प्रकार की हिंसा, विशेष रूप से आतंकवाद, के खिलाफ उसकी भूमिका विश्व पटल पर हमेशा अग्रणी रही है।
बिशप जेराल्ड मैथियस ने अपने संबोधन में कहा, “युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। भारत हमेशा से शांति और सह-अस्तित्व का प्रतीक रहा है। हमें प्रेम, करुणा और समझ के माध्यम से आगे बढ़ना चाहिए।”
प्रार्थना सभा में सात प्रमुख बिंदुओं पर शांति का संदेश साझा किया गया:
- शांति को बल से नहीं, समझ से प्राप्त किया जा सकता है।
- शांति संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं, उसे शांतिपूर्ण तरीकों से संभालने की क्षमता है।
- शांति सुंदर होती है।
- जब प्रेम की शक्ति अन्य शक्ति पर विजय पाएगी, तब दुनिया शांति को जान पाएगी।
- आंख के बदले आंख, पूरी दुनिया को अंधा बना देती है।
- शांति की शुरुआत मुस्कान से होती है।
- शांति के लिए एकजुट रहना जरूरी है।
सभा में हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में हुए भयावह आतंकवादी हमले की भी कड़ी निंदा की गई। हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी, जिनमें हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्मों के लोग शामिल थे। सभी उपस्थित धर्मगुरुओं और नागरिकों ने मृतकों के लिए मौन प्रार्थना की और देश में अमन की बहाली के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
धर्मगुरुओं ने भारत सरकार और भारतीय सेना को समर्थन देते हुए आतंकवाद के खिलाफ सख्त और प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
यह आयोजन इस संदेश के साथ समाप्त हुआ कि “शांति ही एकमात्र रास्ता है और भारत को विश्व के लिए इसका नेतृत्व करना चाहिए।”