- मास्को में राजनाथ ने रूसी उप प्रधानमंत्री से की मुलाकात
नई दिल्ली। रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच मंगलवार को आभासी बैठक शुरू हो गई। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया की प्रमुख आवाजों को हर तरह से अनुकरणीय होना चाहिए। उन्होंने बहुपक्षीय व्यवस्था में साझेदारों के वैध हितों को मान्यता देने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकाचार का पालन करने की जरूरत पर जोर दिया।
इस बीच, रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के मामले में भारत के दावे का समर्थन किया और कहा कि वह इसका पूरा हकदार है। उधर, तीन दिनों के दौरे पर सोमवार की रात रूस की राजधानी मास्को पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार कोरूस के उप प्रधानमंत्री यूरी इवानोविच बोरिसोव के साथ मुलाकात की। इससे पहले वो भारतीय दूतावास पहुंचे थे। जहां उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक में जयशंकर भी शामिल
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही बैठक में जयशंकर ने कहा कि यह विशेष बैठक हमारे लंबे समय से चल रहे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांतों में विश्वास को दोहराती है, लेकिन आज चुनौती अवधारणाओं और मानदंडों की नहीं, बल्कि समान रूप से इसपर अभ्यास की हैं। चीन के विदेश मंत्री वांग गी की मौजूदगी में जयशंकर का यह बयान भारत और चीन के सौनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसा में भारत के 20 सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बीच आया है।
विदेश मंत्री के इस बयान को चीन के लिए अप्रत्यक्ष संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है जो हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाने के साथ ही भारत के साथ लगती सीमा पर भी मुश्किलें खड़ा कर रहा हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि यह विशेष बैठक अंतरराष्ट्रीय संबंधों के स्थापित सिद्धांतों पर हमारे विश्वास को दोहराती है, लेकिन वर्तमान में चुनौतियां अवधारणाओं और मानदंडों मात्र की नहीं हैं बल्कि उनके अमल की भी हैं।
भारत सुरक्षा परिषद का पूर्णकालिक सदस्य बनने का हकदार: लावरोव
भारत, रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच जारी आभासी बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सदस्यता की मांग भी उठी। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि हमें लगता है कि भारत सुरक्षा परिषद का पूर्णकालिक सदस्य बनने का हकदार है और हम भारत की दावेदारी का पूरा समर्थन करेंगे। इस दौरान उन्होंने डॉक्टर कोटनिस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कोटनिस उन पांच भारतीय डॉक्टरों में शामिल थे जो दूसरे चीन-जापान युद्ध के दौरान वर्ष 1938 में चिकित्सा सहायता देने के लिए गए थे।
भारत और चीन को बाहरी मदद की कोई जरुरत नहीं : रूस
सीमा पर भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत और चीन को बाहर से कोई मदद चाहिए। किसी को उनकी मदद करने की आवश्यकता नहीं है, खासकर जब यह देश के मुद्दों पर आता है। वे अपने विवाद को खुद के दम पर सुलझा सकते हैं। रूस-भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि हमें उम्मीद है कि स्थिति शांतिपूर्ण बनी रहेगी और दोनों देश विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे।
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली और बीजिंग ने शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है। दोनों देशों ने रक्षा अधिकारियों, विदेश मंत्रियों के स्तर पर बैठकें शुरू कीं और दोनों पक्षों में से किसी ने भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिससे यह संकेत मिले कि उनमें से कोई भी गैर-कूटनीतिक तरीके से विवाद का समाधान चाहता है। बता दें कि लद्दाख के गलवां घाटी में सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद यह पहली बार है जब विदेश मंत्री अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ आमने-सामने बैठक कर रहे हैं।