भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध : रक्षा मंत्री

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चीन के साथ सात महीने से जारी गतिरोध के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है लेकिन इसके साथ ही वह एकपक्षवाद और आक्रामकता से अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और चाहे इसके लिए कितनी बड़ी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।

राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (एनडीसी)द्वारा आयोजित डिजिटल संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, शांति के लिए युद्घ को रोकने की क्षमता हासिल करना महत्वपूर्ण है। यह संगोष्ठी एनडीसी की स्थापना की हीरक जयंती पर आयोजित की गई है। उन्होंने कहा कि भारत मानता है कि मतभेदों को विवाद में तब्दील नहीं होना चाहिए और सीमा पर शांति और नियमों को कायम रखने के लिए हुए विभिन्न समझौतों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सिंह ने देश के समक्ष मौजूद सुरक्षा चुनौतियां और सरकार कैसे भारत की युद्घ क्षमता को बढ़ाने का प्रयास कर रही है सहित रणनीतिक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, भारत सीमा पर दूसरी चुनौती का सामना कर रहा है। भारत शांतिपूर्ण देश है। हम मतभेदों को विवाद नहीं बनने देने में विश्वास करते हैं। हम विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने को महत्व देते हैं।

सिंह ने कहा, हमारी सीमाओं पर शांति और धैर्य बनाए रखने के लिए किए गए समझौतों और प्रोटोकॉल का सम्मान करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है। हालांकि, भारत इसके साथ ही एकपक्षवाद और आक्रामकता से अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है और चाहे इसके लिए कितनी बड़ी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। रक्षा मंत्री की टिप्पणी सीमा पर गतिरोध को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के आठवीं दौर की पूर्वसंध्या पर आई है।

रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान के बारे में कहा कि वह आतंकवाद को राजकीय नीति के तौर पर इस्तेमाल करने पर आमादा है। उन्होंने कहा, हालांकि, हमने पाकिस्तान की प्रतिगामी नीति को उजागर करने और समान विचार वाले देशों के साथ काम करने में न केवल ठोस सफलता हासिल की है बल्कि पहले की तरह पुराने र्ढे पर उसके काम करने के तरीके पर नियंत्रण की लगातार कोशिश की है।

रक्षामंत्री ने कहा कि भारत ने साबित किया है जिस देश ने आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति की तरह इस्तेमाल किया है उसके निवारण के लिए अन्य विकल्प हैं जो पहले इस्तेमाल करने योग्य नहीं थे। सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों ने भी हाल में गंभीर चुनौतियों के बावजूद भारत की सीमाओं और हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की है, जो सुविचारित नीति और क्षमता का परिणाम है और आगे भी महामारी के बावजूद सैन्य अभियान की जिम्मेदारी जारी रखेंगे।

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