तीस जून की मध्य रात्रि को समारोहपूर्वक जब जीएसटी लांच किया गया था, तो प्रधानमंत्री ने जीएसटी के अनेक फायदे गिनये थे। उस समय जो लाभ गिनाये थे उनमें गुड एवं सिम्पल टैक्स होना, अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ना, टैक्स कानूनों का सरल होना, टैक्स चोरी रुकना और जीएसटी लागू होने के बाद प्रगति में दो फीसद की वृद्धि होना बताया गया था। जीएसटी लागू होने के बाद अब तक ढाई साल का जो अनुभव है उससे स्पष्ट है कि जीएसटी बहुत जटिल साबित हुई है। इसमें चोरी भी हो रही है, कर संग्रह भी आशा के अनुरूप नहीं बढ़ा है और लागू होने के बाद देश की प्रगति भी शिथिल पड़ गयी है।
स्पष्ट है कि जीएसटी लागू करते समय जो फायदे गिनाये गये थे, लागू करने के बाद व्यवहारिक तौर पर परिणाम उसके एकदम विपरीत है। इससे स्पष्ट है कि जीएसटी में अभी बहुत सुधार करने की जरूरत है। टैक्स चोरी को लेकर भारत सरकार का ही आंकड़ा है कि अब तक जीएसटी प्रणाली में करीब सवा लाख करोड़ रुपये की टैक्स चोरी हो चुकी है। केन्द्रीय एजेंसियों की सतर्कता से करीब एक तिमाही मामले पकड़ में आ गये, लेकिन फिर भी एक बड़ी धनराशि टैक्स चोरी के कारण भारत सरकार के खजाने में नहीं आ सकी। अगर जीएसटी मे ंवे सारी बुराइयां मौजूद हैं जो पहले थीं, तो फिर इस टैक्स प्रणाली को लागू करने के लिए देश ने जो ऊर्जा लगायी उसका क्या मतलब है।
किसी भी टैक्स प्रणाली में यह गुण होने चाहिए कि वह इतनी सरल हो कि दैनिक कारोबार में किसी भी तरह की अड़चन न आये। सरल और सुगम होने के साथ ही कर संग्रह और देश की आर्थिक प्रगति भी बढ़ाने वाली हो। अगर जीएसटी से ये सारे लक्ष्य हासिल नहीं होते हैं तो इसको लागू करने के लिए सालोंसाल जो संसदीय प्रयास हुए, देश ने जो तमाम ऊर्जा लगायी वह सब व्यर्थ माना जायेगा। आज अगर दुनिया में बहुत से देश अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में जीएसटी का प्रयोग करते हैं, तो निश्चय ही इसमें बहुत सी अच्छाइयां भी होंगी, लेकिन इसको लागू करते समय अगर सरल नहीं बनाया जाता है और प्रौद्योगिकी का उचित सपोर्ट नहीं मिलता तो फिर इसके लाभ का मिलना भी कठिन है।
जीएसटी प्रणाली को लागू हुए करीब ढाई साल हो गये हैँ और अब तक के अनुभव के आधार पर जीएसटी की व्यापक समीक्षा करने की जरूरत है। उन बिन्दुओं को चिन्हित किया जाना चाहिए जिनके कारण जीएसटी एक जटिल प्रणाली साबित हो रही है। यह भी चिन्हित करने की जरूरत है कि आखिर कैसे टैक्स चोरी करने वाले जीएसटी में छेद कर टैक्स चोरी कर रहे हैं। यह वास्तविकता है कि जीएसटी लागू होने के बाद भी कच्चा बिल और पक्का मिल धड़ल्ले से चल रहा है और फर्जी बिलों के माध्यम से टैक्स चोरी के साथ ही बिना किसी टेÑड के ही रिफंड भी वापस लेने के मामले पकड़े गये हैं। देश की आर्थिक प्रगति के लिए कर संग्रह बढ़ाना जरूरी है और इसके लिए चोरी रोकने के साथ ही तमाम नये मदों को भी चिन्हित करने की जरूरत है।