रक्षा क्षेत्र में बढ़ते कदम

उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्र बुन्देल खण्ड में रक्षा उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ावा देने, पचास हजार करोड़ से अधिक संभावित निवेश और तीन लाख नये रोजगार की संभावनाओं के दरवाजे खोलने की उम्मीदों के साथ प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पांच दिवसीय 11वां डिफेंस एक्सपो चल रहा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिफेंस एक्सपो के उद्घाटन के साथ ही रक्षा क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षाओं को भी सामने रखा है। देश स्पष्ट नीति के साथ आगे बढ़ता है तो निश्चय ही सबसे बड़ा आयातक से एक बहुत बड़ा निर्यातक देश बनने की क्षमता रखता है।

गौरतलब है कि रक्षा क्षेत्र में नित नये अनुसंधान एवं विकास के कारण लगातार चुनौतियां बढ़ती और बदलती रहती हैं। आज रक्षा प्रौद्योगिकी का विकास और निर्माण सिर्फ कारोबारी नजरिये से ही फायदेमंद नहीं है बल्कि इससे किसी देश की सैन्य ताकत के साथ कूटनीतिक बढ़त भी मिलती है। इसलिए रक्षा विनिर्माण और निर्यात के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ता है तो वैश्विक रक्षा कारोबार में अमेरिका, रूस, फ्रॉस, जर्मनी और चीन की तरह एक बड़ा निर्यातक बन सकता है।

रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निर्यात के साथ ही रोजगार की भी संभवाना है। भारत स्वयं हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश है और यह चिंताजनक स्थिति है। जिस देश में आधुनिकतम रक्षा प्रौद्योगिकी और सस्ता श्रम मौजूद हो वह देश रक्षा प्रौद्योगिकी का सबसे बड़ा आयातक बन जाये ये ठीक नहीं है। हाल के वर्षों में भारत ने रक्षा निर्यात की संभावना पर ध्यान केन्द्रित किया है। इसमें कुछ सफलता भी मिली है। 2014 तक भारत का रक्षा निर्यात महज 2000 करोड़ के आसपास ही था, लेकिन महज पांच-छह वर्षों में यह 17000 करोड़ के करीब पहुंच गया है।

बढ़ते रक्षा निर्यात के मद्देनजर ही भारत सरकार देश में दो डिफेंस कॉरिडोर विकसित कर रही है। इसमें से एक डिफेंस कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े क्षेत्र बुन्देलखण्ड में स्थित है। बुन्देलखंड में प्रस्तावित डिफेंस कॉरिडोर विकसित होने से इसके आसपास बड़े पैमाने पर रक्षा उद्योग को विकसित करने का प्रस्ताव है और यह डिफेंस एक्सपो दरअसल डिफेंस कॉरिडोर में निवेश को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भी प्रेरित है।

डिफेंस एक्सपो में पचास से अधिक देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ 100 से अधिक देशों की कंपनियां एवं प्रतिनिधि आ रहे हैं जो इस क्षेत्र में निवेश के साथ ही संभावित कारोबार की संभावनाएं भी तलाशेंगे। भारत गोला बारूद, टैंक, तोप, मशीन गन, पोत, हेलीकॉप्टर से लेकर युद्धक विमान और दुनिया का सबसे तेज मिसाइल ब्रह्मोस तक बनाता है।

अगर डिफेंस कॉरीडोर में मेक इन इंडिया के तहत ड्रोन, हेलीकॉप्टर, युद्धक विमान का निर्माण एवं असेंम्बलिंग, बुलेट, बम, गोला, बुलेट प्रूट जैकेट, डिफेंस पार्क, डिफेंस इनोवेशन, डिफेंस एआई जैसी क्षेत्र में विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देता है, तो निश्चय ही भारत वर्तमान 17000 करोड़ के निर्यात से आगे बढ़ता हुआ 35000 हजार करोड़ के लक्ष्य तक पहुंच सकता है। इसके साथ ही घरेलू जरूरतें पूरी करके आयात से निर्भरता भी कम करने में सफल हो सकता है।

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