कैसे पूरा होगा पीएम आवास का सपना, 84 प्रोजेक्ट पर नहीं शुरू हो पाया काम

आशीष मौर्य

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आत्यिनाथ वर्ष 2022 तक सूबे में हर बेघर को छत मुहैया कराना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अनेक बार बैठकों में प्रधानमंत्री आवास योजना के सभी कार्य तेजी से पूरे के निर्देश भी दिये। इसके बावजूद योजना को परवान चढ़ाने के जिम्मेदार अफसरों की कार्यशैली से लोगों का पीएम आवास योजना के तहत घर पाने का सपना जल्दी पूरी होता नहीं दिख रहा है। इसके इसी से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत स्वीकृत 150 परियोजनाओं में से 84 पर अभी काम ही शुरू नहीं हो सका है।

दरअसल पीएम आवास योजना के तहत किफायती आवास घटक मेंं विभिन्न प्राधिकरणों एवं आवास विकास परिषद को इन परियोजनाओं में 1,32,628 पीएम आवास बनाने का लक्ष्य दिया गया है। पर, स्वीकृत परियोजनाओं में से 84 पर काम ही नहीं शुरू हुआ है। मिशन निदेशक उमेश प्रताप सिंह ने इस बाबत आवास बंधु के निदेशक को पत्र भी लिखा है। आवास विकास परिषद और प्रदेश के सभी 28 प्राधिकरणों को गरीबों व मध्यम वर्ग के लिए चार लाख ईडब्लूएस के मकान बनाने का लक्ष्य दिया गया था।

केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय से जिन 132628 भवनों की मंजूरी दी गयी है, इसके सापेक्ष अब तक 39106 भवन ही निर्माणाधीन हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण को वित्तीय वर्ष 2020-21 में पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत 13264 मकान बनाने का लक्ष्य मिला, परंतु वित्तीय साल खत्म होने को है लेकिन अब तक 4512 भवनों का कब्जा भी नहीं दिया जा सका है। इस तरह से स्वीकृत भवनों की संख्या के सिर्फ 33 फीसद ही भवन बनाये जा सके हैं अथवा निर्माणाधीन हैं। आवास विकास परिषद को प्रदेश में 1.20 लाख और लखनऊ विकास प्राधिकरण को 48 हजार आवास बनाने का लक्ष्य दिया गया है।

एलडीए और आवास विकास के अफसरों ने काफी मशक्कत के बाद इन मकानों के लिए शारदा नगर विस्तार, बसंत कुंज योजना में जमीन की व्यवस्था भी कर ली। शारदा नगर विस्तार में निर्माण हो चुका है, जबकि बसंत कुंज योजना में करीब 2265 मकान अभी निर्माणाधीन हैं। दरअसल योजना को पूरा करने में जमीन का संकट मुंह बाये है। योजना के तहत अगले तीन वित्तीय वर्ष में पीएम आवास बनाने का टारगेट पूरा करने के लिए जमीन नहीं मिल रही है। बीते दिनों आवास विभाग की समीक्षा बैठक में यह तथ्य सामने आया कि आगरा एवं मथुरा-वृंदावन में एक भी पीएम आवास नहीं बनाया जा सका।

इसके अलावा गाजियाबाद में 19 प्रतिशत, मेरठ में 32 प्रतिशत, बुलंदशहर में शून्य, मुरादाबाद में 36 प्रतिशत, गोरखपुर में 49 प्रतिशत, वाराणसी में 70 प्रतिशत जबकि अयोध्या में 60 प्रतिशत आवास बने सके हैं। योजना के मिशन निदेशक उमेश प्रताप सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि अभी तक स्वीकृत 66 परियोनाओं में ही काम शुरू किया गया है, 84 परियोजनाएं अब भी शुरू नहीं हो सकी हैं। इसके बाद मुख्य सचिव आरके तिवारी ने भी समस्त परियोजनाओं की समीक्षा कर रिपोर्ट मांगी है कि आखिर आवास बनने क्यों नहीं शुरू हुए? अधिकारियों से प्राधिकरणवार सूची कारण सहित मांगी गयी है।

योजना के तहत निर्माणाधीन आवासों को अतिशीघ्र्र पूरा कराने के निर्देश दिये गये हैं। जिन नगर निगमों में अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है और जहां अधूरा काम हुआ है, वहां मासिक लक्ष्य निर्धारित कर समीक्षा करने को कहा गया है। इन निर्देशों के बाद अब नगर निगमों में सम्मिलित हुए नये क्षेत्रों में अभियान चलाकर नये लाभार्थियों का चयन किया जायेगा। इस संबंध में जिलाधिकारियों के साथ राजस्व अधिकारियों की बैठक कर लाभार्थियों के सत्यापन की कार्यवाही पूर्व के लेखपाल व कानूनगो से करायी जायेगी।

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