लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से शहर के रिहाइशी इलाकों में शैक्षणिक संस्थानों को चलाने की अनुमति देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर जवाब तलब किया है।कोर्ट ने पूर्व आदेश के अनुपालन में आधा अधूरा जवाब दाखिल करने पर सख्त नाराजगी जतायी है।कोर्ट ने कहा कि यदि अगली सुनवाई तक एलडीए पूरा जवाब नहीं पेश करती तो उसके खिलाफ भारी जुर्माना लगाया जायेगा। मामले की अगली सुनवाई चार हपते बाद होगी। यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस करुणेश सिंह पवार की बेंच ने सच्चिदानंद की ओर से दायर जनहित याचिका पर पारित किया।
याचिका पर 5 अप्रैल 2019 को कोर्ट ने राज्य सरकार, एलडीए व अन्य विपक्षीगणों से जवाब तलब किया था। जवाब न आने पर कोर्ट ने गत 3 फरवरी को सुनवाई के दौरान सख्ती दिखायी थी और कहा था कि यदि अगली सुनवाई तक जवाब नहीं आता तो एलडीए वीसी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होना होगा। वहीं, हाईकोर्ट एक ओर नाराजगी जता रहा है, दूसरी ओर हालत यह हैं कि घर-घर खुले प्ले स्कूल, कोचिंग संस्थान के लिए प्रदेश में किसी तरह का कोई नियम ही नहीं है।
जो चाहे, जहां चाहे, जैसे चाहे…मनमाने तरीके से रिहाइशी इलाकों में भी स्कूल चला रहा है। इतना ही नहीं, इसके लिए फीस क्या होगी, बच्चों को सुविधा कैसी मिले, छात्रों की सुरक्षा को लेकर क्या उपाय हों, इसकी भी कोई जांच नहीं होती है। यह स्थिति तब है जबकि एलडीए की योजनाओं में शैक्षणिक संस्थानों के लिए भूखंड आरक्षित होते हैं। पर, अफसरों की लापरवाही के चलते घनी आबादियों के बीच कुकुरमुत्तों की तरह शैक्षणिक संस्थान चल रहे हैं जहां बच्चे हादसों के बीच पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
इसके अलावा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लिए भी मास्टर प्लान में नियम-कायदे तय कर रखे हैं। प्ले स्कूल, इंटर कॉलेज से लेकर कोचिंग संस्थान के नाम पर मनमानी हो रही है। गली-गली, मोहल्लों में घर-घर स्कूल खुल गए हैं। एक आंकडे के मुताबिक शहर के हर इलाके में लगभग 25 से 30 स्कूल, कोचिंग सेंटर हैं। ज्यादातर स्कूल रिहायशी इलाके में चल रहे हैं।





