लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने अपनी जमानत के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में अर्जी दाखिल की है। उनकी अर्जी 12 जून को न्यायमूर्ति ए आर मसूदी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्घ है। लल्लू बस विवाद मामले में जेल में हैं। उन्हें 20 मई को आगरा में अवैध रूप से धरना प्रदर्शन करने के आरेाप में गिरफ्तार किया गया था लेकिन उन्हें उसी दिन जमानत मिल गई। उसके तुरंत बाद हांलाकि लखनऊ पुलिस ने उन्हें दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया।
उनके ऊपर आरोप है कि प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए मंगाई गई बसों के कागजों में फर्जीवाड़ा किया गया। विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने लल्लू की जमानत अर्जी एक जून को खारिज कर दी थी। जिस पर उन्होंने अब उच्च न्यायालय में जमानत के लिए अर्जी दी है। जमानत अर्जी में उनकी ओर से दलील दी गई है कि लल्लू की मामले में कोई अहम भूमिका नहीं है और सरकार ने उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया है।
गौरतलब है कि एक जून को विशेष एमपी-एमएलए अदालत में विशेष न्यायाधीश पी. के. राय ने कहा था कि मामला गंभीर प्रकृति का है। मामले की विवेचना अभी चल रही है ऐसे में इस स्तर पर जमानत देने का कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने यह आदेश जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी मनोज त्रिपाठी की ओर से पेश तर्कों को स्वीकार करते हुए पारित किया था।
त्रिपाठी का तर्क था कि लल्लू के खिलाफ अब तक की विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य पाए गए हैं। तर्क दिया गया था कि लल्लू ने स्वयं गृह सचिव को पत्र लिखकर बसों की सूची उपलब्ध कराने की बात कही थी अत: प्रकरण में उनका सीधा-सीधा संबध है। यह भी तर्क दिया गया था कि लल्लू के खिलाफ 18 मुकदमों का अपराधिक इतिहास है जिसमें से चार मुकदमे गुण्डा एक्ट के हैं । ए मुकदमे पिछली सरकारों के दौरान लल्लू के खिलाफ दर्ज हुए थे।