लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को कहा कि आंगनबाड़ी का शिक्षण कार्य बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है, लेकिन कोरोना के कारण आधी-अधूरी शिक्षा हो पायी। लेकिन अब स्कूल खुल रहे हैं तो शिक्षकों को अब पूरी तन्यमयता के साथ शिक्षण कार्य करना चाहिए।
यह बात राज्यपाल ने सरोजनीनगर विकास खंड के धामापुर गांव में 40 आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों को खेल-खेल में शिक्षण कार्य से जुड़े खेलकूद के सामान देते हुए कही। उन्होंने कहा कि अब शिक्षा पद्धति बदल गयी है। पहले हम चाॅक और स्लेट पर पढ़ते थे लेकिन आज के बच्चों की बौद्धिक क्षमता ज़्यादा है इस दृष्टि से शिक्षा जगत में बदलाव किये जा रहे है, जिन्हें अपनाने की जरूरत है, शिक्षक उसी के अनुसार अपने को अपडेट करें।
राज्यपाल ने कहा कि नवीनतम शिक्षा पद्धति के तहत आज बच्चों को ये सामान दिये जा रहे है, जो राजभवन की प्रेरणा से डा एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ से सम्बद्ध 26 इंजीनियरिंग कालेजों के सहयोग से दिया गया है। आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों को इनके मिलने से उनमें आकर्षण पैदा होगा और वे आंगनबाड़ी केंद्रों पर ख़ुशी से आयेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे आंगनबाड़ी केंद्रों को हर हाल में आकर्षण का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को हिदायत दी कि वे अनिवार्य व नियमित रूप से पठन-पाठन एवं खेलकूद सामग्री बच्चों को दें।
आनंदीबेन ने गांववासियों से अपील की कि वे अपने आंगनवाड़ी केंद्र व प्राथमिक विद्यालयों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। जनप्रतिनिधि और गांव के संभ्रान्त लोग यह प्रयास करें कि गर्भवती महिलाओं का सौ प्रतिशत प्रसव अस्पतालों में ही हो, ताकि बच्चे स्वस्थ पैदा हों। उन्होंने कहा कि महिलाओं के उचित पोषण के लिये सरकार पांच हजार रुपये देती है ताकि महिलाओं की उचित पोषण की व्यवस्था हो सके। उन्होंने आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को निर्देश दिये कि वे गर्भवती महिलाओं से हिसाब का ब्यौरा लेती रहें ताकि यह पैसा बेकार न जाये।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार कुपोषित बच्चों के लिये उचित पोषण की व्यवस्था आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से करती है। कोरोना के कारण अभी तक आंगनवाड़ी केंद्र बंद थे, लेकिन अब महामारी धीरे-धीरे खत्म हो रही है और आंगनबाड़ी केंद्र खुल रहे हैं। अब दोबारा राज्य सरकार का पोषण उन्हें मिलने लगेगा। सभी अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र भेजना सुनिश्चित करें। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य और अन्य अभिभावक आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयें और आहार का परीक्षण भी करें। उन्होंने कहा कि सबकी जिम्मेदारी है कि गांव में एक भी बच्चा टीबी ग्रस्त और कुपोषित न हो।
इस मौके पर प्राथमिक विद्यालय के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गयी। राज्यपाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तारीफ करते हुए कहा कि कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले बच्चों का हौसला बुलंद है। उन्होंने कहा कि बच्चों में नेतृत्व की भावना विकसित करें, बच्चों में सिखने की भावना ज़्यादा होती है, हमें उन पर विश्वास करना चाहिए। इसलिए शिक्षक उन्हें आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करें। गलतियां होती रहती हैं, लेकिन उन्हें सुधारकर आगे बढ़ने की प्रवृत्ति बच्चों में डाले।