विधानसभा में बृहस्पतिवार को चार विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गए। इनमें उप्र दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उमशमन) (संशोधन) विधेयक 2023, उप्र माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023, उप्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज (संशोधन) विधेयक 2023 और उप्र निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक 2023 शामिल है।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि उप्र दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) संशोधन विधेयक 2023 के तहत प्रदेश में 31 दिसंबर 2021 तक सीआरपीसी की धारा 107 और 109 के तहत दर्ज हुए ऐसे वाद, जो शमन शुल्क भरकर अथवा स्वत: समाप्त होने वाले हैं, उन्हें खत्म कर दिया जाएगा। दरअसल पुराने प्रकरणों में अभियुक्त बार-बार समन भेजने पर उपस्थित नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में लंबित वादों की संख्या बढ़ती जाती
है। वहीं, उप्र माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक लागू होने से छोटे कारोबारियों को ई-कॉमर्स ऑपरेटर्स के जरिए व्यापार करने में सुविधा होगी। दरअसलए अभी तक कम टर्नओवर वाले व्यापारियों का पंजीकरण नहीं हो पाता था।
इसी वजह से जीएसटी के तहत इसकी बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा उप्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज (संशोधन) विधेयक 2023 लागू होने से देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नाम से विधि विश्वविद्यालय की स्थापना का रास्ता साफ हो गया है। इसकी शुरूआत 60 विद्यार्थियों से होगी। इसमें नियुक्तियों की प्रक्रिया भी जारी है। कानून की पढ़ाई की दृष्टि से यह विश्वविद्यालय बेहद उपयोगी साबित होगा। विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने उप्र निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन) विधेयक 2023 को सदन में पेश किया। उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।