भारत में लगभग हर दूसरा व्यक्ति आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का उपयोग करता है। एक सरकारी सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष निकाला गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 46 प्रतिशत ग्रामीण और 53 प्रतिशत शहरी लोग इस पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का उपयोग करते हैं।
आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी शामिल हैं। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 79वें दौर के हिस्से के रूप में जुलाई, 2022 से जून, 2023 तक राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा आयुष पर पहला विशेष अखिल भारतीय सर्वेक्षण किया गया था।
बयान के अनुसार, इस सर्वेक्षण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ दुर्गम गांवों को छोड़कर पूरे देश को शामिल किया गया।।,81,298 परिवारों से जानकारी एकत्रित की गई, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में।,04,195 और शहरी क्षेत्रों में 77,103 परिवार शामिल थे।
अध्ययन के अनुसार, लगभग 95 प्रतिशत ग्रामीण और 96 प्रतिशत शहरी उत्तरदाताओं को आयुष के बारे में जानकारी है। लगभग 85 प्रतिशत ग्रामीण और 86 प्रतिशत शहरी परिवारों में कम से कम एक सदस्य औषधीय पौधोांघरेलू उपचारोांस्थानीय स्वास्थ्य परंपराओां लोक चिकित्सा के बारे में जानता है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में उपचार के लिए आयुर्वेद सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली है। आयुष का उपयोग मुख्य रूप से कायाकल्प और निवारक उपायों के लिए किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, सर्वेक्षण में आयुष चिकित्सा प्रणालियों का उपयोग करके उपचार के लिए घरेलू व्यय पर जानकारी एकत्र की गई। आयुष चिकित्सा पद्धति का उपयोग आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी की एक या अधिक प्रणालियों के उपयोगाअपनाने को संदर्भित करता है, जो किसी चिकित्सकाप्रशिक्षक की सलाह पर बीमारियोांव्याधियों के उपचार या बीमारियोांव्याधियों
की रोकथाम के लिए है।
इसमें उपचारादवा के निवारक या लाभकारी प्रभावों को जानने वाले घर के किसी सदस्य द्वारा उपयोग किए जाने वाले घरेलू उपचारास्व-दवाास्व-उपचार भी शामिल होंगे।