विश्व सेप्सिस दिवस आज
वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है जिसकी शुरूआत किसी छोटी सी खरोंच या फिर कीड़े के काटने से भी हो सकती है। डायबिटिज, कैंसर व अन्य गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे और कमजोर इम्यूनिटी वालों को इसका खतरा अधिक होता है। प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ 15 लाख लोग सेप्सिस से ग्रसित होते हैं और 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है।
केजीएमयू के मेडिसीन विभाग के प्रो. डी. हिमांशु का कहना है कि सेप्सिस एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर के किसी हिस्से में खरोंच लगने, कट जाने या कीड़े के काट लेने से होती है, इसलिए किसी छोटी सी खरोंच या फिर कीड़े के काटने को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 13 सितंबर को वर्ल्ड सेप्सिस डे मनाया जाता है।
यह संक्रमण डायबिटीज व अपेंडिक्स कैंसर, एचआईवी और निमोनिया के मरीजों को भी यह बीमारी आसानी से अपना शिकार बना लेती है। ऐसे मरीजों ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। एक बार ये इंफेक्शन हो जाए तो इसका इलाज आसान नहीं होता। इस बीमारी में शरीर का ब्लड सकुर्लेशन बिगड़ जाता है। इससे शरीर में सूजन आ जाती है, साथ ही ब्लड क्लॉट भी बनने लगते हैं। इसमें शरीर के अंगों को पर्याप्त आक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते हैं।
इलाज में देरी से आॅर्गन फेलियर भी हो सकता है। इस कंडीशन को सीवियर सेप्सिस कहा जाता है। इससे आगे की थर्ड स्टेज को सेप्टिक शॉक कहा जाता है जिसमें मरीज की मौत तक हो सकती है। वहीं कई बार अस्पतालों में विशेषकर आइसीयू में गंभीर मरीजों का प्रोटोकॉल के हिसाब से इलाज न मिल पाने के कारण संक्रमण फैल जाता है, इससे मरीज की मौत तक हो जाती है। वह बताते हैं कि जब गंभीर मरीज अस्पताल में भर्ती होता है, तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पहले उस बीमारी से लड़ने का प्रयास करती है। जब प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, तो सेप्सिस संक्रमण होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।