नई दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने और विवाद सुलझाने के लिए भारत और चीन के कोर कमांडर्स ने रविवार को 13वें दौर की वार्ता की। इस दौरान भारत ने पूर्वी लद्दाख से सैन्य तनाव घटाने और हॉट स्प्रिंग से सेना की वापसी पर जोर दिया।
कमांडर स्तरीय यह बातचीत रविवार सुबह 10.30 बजे चीन के हिस्से वाले मोल्डो में शुरू हुई। भारतीय टीम का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने किया। जबकि, चीन की ओर से दक्षिण शिनजियांग जिले के सैन्य कमांडर मेजर जनरल लियू लिन बैठक में शामिल हुए। सेना के सूत्रों के मुताबिक, कोर कमांडर लेवल की यह मीटिंग शाम करीब सात बजे खत्म हुई। दोनों देशों के बीच लद्दाख सीमा पर लंबे समय से सैनिक गतिरोध बना हुआ है। बता दें कि इस बैठक के पूर्व शनिवार शाम सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि चीन अपने इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है।
इसका मतलब है कि वह यहां लंबे समय तक रुकने वाला है। नरवणे ने यह भी कहा कि दोनों ही देश एलएसी के पश्चिमीइलाके में बुनियादी ढांचे का विकास कर रहे हैं, जो कि पिछले साल लाए गए अतिरिक्त सैनिकों और सैन्य उपकरणों की सुविधा के लिए बनाए जा रहे हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते पूर्वी लद्दाख के दौरे के दौरान भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। बता दें कि पैंगोंग त्सो और गोगरा पोस्ट के उत्तर और दक्षिण तट पर सैनिक पीछे हट गए हैं, लेकिन हॉट स्प्रिंग्स पर डटे हुए हैं। मई, 2020 में चीनियों के एलएसी पार करने के बाद से ही यहां सेनाएं एक-दूसरे के सामने हैं। भारतीय सैनिकों को चीनी देपसांग मैदान के ट्रेडिशनल पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर भी जाने से रोक रहे हैं। यह इलाका काराकोरम दर्रे के पास दौलत बेग ओल्डी में स्थित रणनीतिक भारतीय चौकी से ज्यादा दूर नहीं है। चीन सिर्फ लद्दाख में ही नहीं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश में भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में पिछले हफ्ते भारतीय जवानों की चीन के सैनिकों से झड़प हो गई थी। पेट्रोलिंग के दौरान सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हो गए थे और कुछ घंटों तक यह सिलसिला चलता रहा था। हालांकि, इसमें भारतीय जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ और प्रोटोकॉल के मुताबिक बातचीत से विवाद सुलझा लिया गया। इसी तरह, पिछले दिनों खबर आई थी कि चीन के 100 सैनिकों ने 30 अगस्त को उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में घुसपैठ की थी और तीन घंटे वहां रहने के बाद लौट गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घोड़ों पर आए चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसकर तोड़फोड़ की और लौटने से पहले एक पुल भी तोड़ दिया था। बता दें कि बाराहोती वही इलाका है जिसमें चीन ने 1962 की जंग से पहले भी घुसपैठ की थी।