नयी दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 200 से अधिक उन घर खरीदारों को 175 करोड़ रुपये के फ्लैट, वाणिज्यिक इकाइयां और भूखंड बहाल किए हैं, जो 12 साल से अधिक समय से अपने सपनों के घर का कब्जा पाने का इंतजार कर रहे थे। एजेंसी ने यह जानकारी दी। यह 354 फ्लैट, 17 वाणिज्यिक इकाइयों और दो भूखंडों की बिना बिक्री वाली सूची राजस्थान के उदयपुर में रॉयल राजविलास (आरआरवी) नामक एक परियोजना से संबंधित है। ईडी ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा कि इस परियोजना का वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 175 करोड़ रुपये है।
यह मामला भरत बम नामक एक आरोपी के अलावा कुछ अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन की जांच से संबंधित है, जिन पर 2011 और 2016 के बीच सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) से 1267.79 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। ईडी ने अप्रैल 2019 में इस मामले में 535 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी, जिसमें उदयपुर एंटरटेनमेंट वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड (यूईडब्ल्यूपीएल) नाम की कंपनी की बिना बिकीाअपंजीकृत सूची के रूप में 83.51 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल थी।
बाद में इस जब्ती आदेश के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गर्इं और यूईडब्ल्यूपीएल को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष दिवालियापन प्रक्रिया में शामिल किया गया। फरवरी 2022 में एनसीएलटी, मुंबई ने कंपनी की समाधान योजना को मंजूरी दी और ईडी के अप्रैल 2019 के जब्ती आदेश को रद्द कर दिया। ईडी ने कहा कि उसे एनसीएलटी की सुनवाई में पक्षकार नहीं बनाया गया था। इसके बाद मामला राजस्थान उच्च न्यायालय पहुंचा, जिसने कई सुनवाइयों के बाद कहा कि ईडी को एनसीएलटी की कार्यवाही में शामिल नहीं किया गया था।
इसके तुरंत बाद यूईडब्ल्यूपीएल के नए प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय में राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी। ईडी के अनुसार, उच्चतम न्यायालय ने दोनों पक्षों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि निर्दाेष घर खरीदारों के हितों की रक्षा हो, जिन्होंने फ्लैटाभूखंड के लिए पैसे दिए थे, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के कारण कब्जा नहीं पा सके।ईडी ने कहा, घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के मद्देनजर ईडी ने समाधान पेशेवर और यूईडब्ल्यूपीएल के नए प्रबंधन से संपर्क किया और उन सभी घर खरीदारों का विवरण मांगा, जिनके दावे एनसीएलटी, मुंबई के समक्ष स्वीकार किए गए थे।
इन विवरणों की जांच के बाद ईडी ने उच्चतम न्यायालय में अनापत्ति प्रमाणपत्र दायर किया ताकि जिन घर खरीदारों के दावे स्वीकृत थे, उन्हें संपत्तियां वापस की जा सकें, केवल कुछ संपत्तियों को छोड़कर। ईडी ने कहा कि यह निर्णय 12 वर्षों से अधिक समय से पीडÞित 213 घर खरीदारों की मुश्किलों को समाप्त करता है, जो अपने जीवनभर की बचत निवेश कर चुके थे।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल इस मामले की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर है, इसे किसी अन्य मामले में नजर के रूप में नहीं लिया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने ईडी की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, हम दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं और प्रवर्तन निदेशालय के प्रयासों की सराहना करते हैं, जिन्होंने निर्दाेष घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए जब्त संपत्तियों को बहाल करने में अहम भूमिका निभाई।