लखनऊ। जाम के दर्द से वैसे तो पूरा शहर परेशान है। लेकिन आला अधिकारियों की नजरअंदाजी के चलते पुराने लखनऊ के कई इलाके जाम की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। जिसको लेकर न तो कोई प्लान बनाया गया है और न ही इसमें सुधार को लेकर कोई तैयारियां की गई है। जिसके चलते लाखों की संख्या में लोग दिनभर जाम से जूझते रहते हैं। खास बात तो यह है कि जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरे भी पुलिस के अधिकारियों की नींद नहीं खोल पा रहे हैं। जबकि अधिकारी लोग मुख्य रूप से वीवीआइपी ड्यूटीओं समेत शहर के मुख्य इलाकों में ही जान की समस्याओं को रोकने को लेकर प्लान बनाते रहते हैं। काफी समय पहले एसएसपी रही मंजिल सैनी ने इसके लिए प्लान बनाया था।
व्यापारियों के साथ बैठक भी की थी। कई जगहों से चिन्हित किया गया था। लेकिन उस पर अमल नहीं हो पाया। जिसके बाद से अभी तक किसी भी अधिकारी ने जाम से जूझ रहे इलाकों का भ्रमण कर समस्यों के निराकरण का उपाय तलाशा। जिसमें खास तौर नक्खास, चौक, ठाकुरगंज अमीनाबाद , मौलवीगंज, अहियागंज, चारबाग, दुबग्गा व नाका क्षेत्र के इलाके शामिल है। स्थानीय लोगों के अनुसार जाम की मुख्य वजह सड़क किनारे किया गया अतिक्रमण है। जिसमें सैकड़ों की संख्या में चल रहे ई-रिक्शा शामिल है। जो रेलगाड़ी बनकर दिनभर सड़कों पर दौड़ते रहते है। जिस पर कोई लगाम नहीं लग पा रही है। बीते दिनों शहर के कई इलाकों में ई-रिक्शा के चलन में प्रतिबंध के बाद तो इनकी जैसे बाढ़ सी आ गयी हो। जबकी इन इलाकों में ट्रैफिक कन्ट्रोल को लेकर पुलिस बल भी चौराहोें समेत मुख्य मार्ग पर तैनात है। इसके बावजूद भी समस्या जस की तस बनी हुयी है। जानकारों की माने तो पुलिस मिलीभगत के चलते इस पर लगाम नहीं लग पा रही है।