लखनऊ। प्रकाश का पर्व दीपावली इस वर्ष 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा त्योहार होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। दिवाली रोशनी का पर्व है। मान्यता है इस दिन भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्ति के बाद अयोध्या आए थे जिसकी खुशी में सभी नगरवासी अपने प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाएं थे। इसके अलावा ऐसी मान्यता भी है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। कार्तिक अमावस्या पर दीपदान करने का विशेष महत्व होता है।
दिवाली के दिन 6 ग्रहों का अद्भुत संयोग
हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रदोष एवं रात्रि व्यापिनी अमावस्या तिथि पर दिवाली मनाई जाएगी। इस साल सोमवार के दिन 20 अक्टूबर को दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर में 3:45 मिनट से प्रारंभ हो रही है, जो 21 अक्टूबर की शाम को 05:54 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली के दिन कई ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। अमावस्या की रात स्थिर लग्न में महालक्ष्मी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी की स्थिरता बनी रहती है। वैसे तो चार स्थिर लग्न है, वृष, सिंह, वृश्चिक, और कुंभ। इसके अलावा महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए लाभ की चौघड़िया एवं अमृत काल पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
सूर्य, मंगल और बुध सभी तुला राशि में आपस में मिलेंगे। इसका संयुक्त प्रभाव सभी राशि के लोगों के लिए शुभ फल देने वाला माना जा रहा है। कर्क राशि पर गुरु का उच्च गोचर हंस महापुरुष योग अत्यंत धन समृद्धि दायक रहेगा। सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा, जिससे नेतृत्व क्षमता और बुद्धि में विकास और सफलता मिलेगी। वहीं, कन्या राशि में शुक्र, चंद्र की युति से रिश्तों में प्रेम, मानसिक शांति एवं सुख की प्राप्ति होगी।
मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त
गोधूलि संध्या- शाम 05:46 पी एम से 06:12 पी एम
प्रदोष काल – 05:46 पी एम से 08:18 पी एम
वृषभ लग्न- शाम 7:16 से 9:09 तक
मिथुन लग्न आरंभ- शाम 9:10 से 11:22 मिनट तक
सिंह लग्न: रात्रि के 01:19 से रात्रि के 03:56 तक
लाभ की चौघड़िया- शाम 9:30 से 11:29 रात्रि
शुभ की चौघड़िया- 01:03 से रात्रि के 02:37 तक
अमृत काल- 02:37 मिनट से प्रात: 4:11 मिनट तक
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि:
दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें। इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें। फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें। स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। माता लक्ष्मी और गणेश जी को हार पहनाएं। इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें। फिर पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।
डिजाइनर श्रीगणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाओं से पटा बाजार:

धनतेरस से दीपोत्सव की खरीदारी का दौर शुरू हो चुका है और दीपावली के दिन सोमवार तक चलता रहेगा। समृद्धि की प्रतीक मां लक्ष्मी और शुभता के देव श्री गणेश की पूजा के चलते बाजार में डिजाइनर प्रतिमाएं मौजूद हैं। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत महंगी हैं। दुकानदार सोनी ने बताया कि महंगी मिली है तो उसी हिसाब से फायदे के साथ बिक्री कर रहे हैं।
खील 180 से 220 रुपये किलो :
खील, चूरा, चीनी के खिलौने, खुटिया, लइया की दुकानें भी सज गई हैं। दुकानदार गोपी ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल रौनक अधिक है। हर सामान पिछले साल के मुकाबले 10 से 20 रुपये की महंगा है। मंगलवार से बिक्री शुरू होने की उम्मीद है। खील 180 से 220 रुपये प्रति किलो, चूूरा 60 से 90 रुपये प्रति किलो, लइया 60 से 80 रुपये प्रति किलो, खुटिया 130 से 180 रुपये प्रति किलो, गट्टी 130 से 190 रुपये प्रति किलो, बड़ी गट्टी 110 से 140 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
जैसी प्रतिमाएं वैसा दाम:
मिट्टी की छोटी प्रतिमा 40-60 रुपये, मध्यम श्रेणी की प्रतिमा 50 से 70 रुपये, बड़ी प्रतिमाएं-200 से 300 रुपये, वस्त्रों वाली प्रतिमाएं 400 से 600 रुपये, मां लक्ष्मी के चरण प्रति पीस-20 से 30 रुपये, दीपक की बत्ती प्रति पैकेट 10 से 20 रुपये, आरती थाल 300 से 400 रुपये, श्री गणेश की माला 15 से 20 रुपये, मां लक्ष्मी के वस्त्र 40 से 50 रुपये, प्लास्टिक के तोरण 100 से 150 रुपये में बिक रहा है।
बाजारों में पानी वाला दीपक बना आकर्षण का केन्द्र
लखनऊ। दीपावली के पर्व पर राजधानी लखनऊ का बजार सजे हुए हैं। लोग अपनी जरूरत के अनुसार खरीददारी करने के निकल रहे हैं। इस बार घरो में सजावट के लिए लखनऊ के बाजारों में मौजूद पानी वाला दीपक बहुत आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। सजावट के लिए रंग बिरंगी लाइटें और झालरों की दुकानों पर खूब खरीदारी हो रही है। लखनऊ की बाजारों में इस बार लोग चाइनीज की जगह देसी झालरों को खरीदना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। जिसमें इंडियन फ्लावर, गोल्डन दीपक, वॉटर दीपक लोगों की खास पसंद बन रहा है। इसके अलावा भगवान गणेश, हार्ट शेप, स्टार लाइट जैसी तमाम नई लाइट भी लोगों को खूब पसंद आ रही हैं। अमृत विचार को दुकानदारों ने बताया कि इस साल बिक्री काफी अच्छी हो रही है और बाजार में खरीददारों की भीड़ भी लगी हुई है। उन्होने बताया कि बीते साल से दामों में भी ज्यादा बढ़ोतरी नही हुई है। इसके अलावा दुकानदारों ने बताया कि पानी वाले दिये लोगो को खूब पसंद आ रहे है इसकी दीपक की खास बात यह है कि इसमें न तो आपको तेल भरने की जरूरत है और न ही बाती लगाने की। इसमें बस आप थोड़ा सा पानी भर दें यह दीपक अपने आप जलने लगेगा। वही इस दीपक के एक डिब्बे की कीमत मात्र 130 रुपए है और एक डिब्बे में 6 दीपक उपलब्ध है।
राजस्थानी तोरण और वंदनवार बने लोगों की पहली पसंद

लखनऊ। लखनऊ में अमीनाबाद से लेकर भूतनाथ बाजार की रौनक बता रही कि दीपावली आ गई है। बाजारों में जबर्दस्त भीड़ उमड़ी रही है। खासकर लोगों का जोर सजावटी सामान की खरीदारी पर दिखायी दे रहा है। दुकानदारों ने भी पिछली बार से कुछ हटकर चीजों से अपनी दुकानें सजाई हैं, जो ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। ग्राहकों को पसंद आने वाली चीजों में मोतियों, स्टोन व नगों से बनी वंदनवार, साइड हैंगिंग शुभ-लाभ के तोरण, मोमबत्तियों और दीयों का विकल्प बनीं बैटरी वाली कैंडल लोगों को खूब आकर्षित कर रहीं हैं।
वंदनवार कुछ विशेष पत्तों या चीजों से बनी झालर होती है। किसी भी शुभ कार्य या पर्व पर इसे घर के द्वार पर लगाने के पीछे मान्यता है कि इससे कोई भी नकारात्मक चीज घर में प्रवेश नहीं करती। इस दीपावली राजस्थानी तोरण के साथ नगों, मोतियों और स्टोन से बने वंदनवारों की खासी डिमांड है।
यूज एंड सेव रंगोली है खास:
आमतौर पर कागज की रंगोली चिपकाने के बाद उसे हटाना मुश्किल हो जाता है। इसी तरह रंगों से बनाई रंगोली को कई दिन तक सहेजना मुश्किल है। जरा सा पैर लगा नहीं कि सब बेकार हो जाती है। ऐसे में इस बार बाजार में यूज एंड सेव रंगोली मौजूद है। ये मैटल और लकड़ी पर बनी है। इसकी कीमत 100 रुपये से शुरू होकर 1000 रुपये तक है। इसे सजाने के लिए सितारों, नगों और शीशे का इस्तेमाल किया गया है। इसे आप दरवाजों और आंगन के साथ दीवारों पर भी लगा सकते हैं। काम होने के बाद सुरक्षित निकालकर रखा भी जा सकता है।
पसंद आ रहे पट्टे वाले हैगिंग:
अमीनाबाद खरीदारी करने पहुंची निशि रस्तोगी ने पट्टे वाले शुभ.लाभ लिखे हैंगिंग खरीदे। उनके मुताबिक शुभ-लाभ लिखी चीजें तो हर बार खरीदते ही हैं, ये इस बार कुछ हटकर लगाए इसलिए लिया। एक जोड़ी की कीमत 600 रुपये हैं। दुकानदार अलताफ कहते हैं कि लड़ियों वाले साइड हैंगिंग में भी इस बार नए डिजाइन आए हैं। पहले फूल वाले ज्यादा चलते थे। इस बार नग, मोती और स्टोन के हैंगिंग ज्यादा हैं। ये गुजराती व राजस्थानी संस्कृति की झलक देता है। ये 400 से 800 रुपये में उपलब्ध है।
रौनक देख कारोबारियों के चेहरे खिले:
सुस्त पड़े बाजार धनतेरस से पहले ही गुलजार हो गए हैं। त्योहारी सीजन में बाजार में रौनक बढ़ गई है। ग्राहकों की भीड़ के चलते जाम की स्थिति पैदा होने लगी है। दीपावली पर शहर के लोगों ने अपनी पसंद की चीजों की खरीदारी शुरू कर दी है। शहर के फुटपाथों पर लक्ष्मी-गणेश जी की मिट्टी की मूर्तियों की खरीदारी भी जोर शोर से हो रही है। इस बार बर्तन, सोना, चांदी के साथ-साथ कपड़ा व्यापारियों को काफी उम्मीदें हैं। आॅटोमोबाइल के शोरूम में भी लोगों की भीड़ दिखने लगी हैं। लोग सामान की बुकिंग कराने से पहले सामान की पड़ताल करने में लगे हुए हैं। धनतेरस को लेकर बाजारों में दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों को चमक-धमक से सजाया हुआ है। चाइनीज आइटम की ओर लोगों का इस बार भी रुझान कम दिख रहा है। बच्चों, महिलाओं व पुरुषों ने दीपावली पर सामान की खरीदारी शुरू कर दी है। बाजार में तरह तरह की बिजली की झालर और घर को जगमगाने के लिए इलेक्ट्रोनिक आइटमों की धूम है।
झालर लटकाने के झंझट से बचना चाह रहे तो ट्री हैं ना:
अगर झालर लटकाने और मुख्य दरवाजे पर झालर की रोशनी ठीक ढंग से नहीं पहुंच पा रही है तो इस बार नए तरह के हरे और रंगीन लाइट वाले पेड़ भी हैं। आर्यानगर के राजदीप सिंह छाबड़ा बताते हैं कि यह ”ट्री” दो फीट से लेकर छह फीट तक की ऊंचाई के हैं। इसकी मध्यम रोशनी लोगों को आकर्षित करने वाली है। अलग-अलग रंगों में यह पेड़ आपको दुकानों पर रुकने को मजबूर कर देंगे। इनकी खूब डिमांड है। इसकी कीमत पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक है।
रॉकेट बल्ब एवं टेंपिल झालर:
रॉकेट बल्ब झालर सस्ती है। छाबड़ा के मुताबिक दस से लेकर 450 रुपये तक की टेंपिल लाइट बाजार में है। यह सस्ता आइटम कम लागत में बेहतरीन रोशनी देता है। जलने-बुझने के स्टाइल वाली यह लाइट पसंद की जा रही है। एवरग्रीन आइटम के रूप में इसे माना जाता है।
देशी लाइट ने निकाला चाइनीज का दिवाला:
एक दौर था जब चाइनीज लाइट और झालर खूब पसंद की जाती थीं। कम कीमत और छोटी एलईडी वाली इन झालरों की डिमांड थी। लेकिन बीते पांच साल में चीन के इस आइटम पर देशी झालरों ने अपना दबदबा बना दिया। वजह यह है कि इसे फेंकने की नौबत नहीं आती है और इसके बल्ब आसानी से मिल भी जाते हैं। साथ ही इनकी रोशनी और अलग-अलग रंगों में होने वाली झिलमिलाहट साल-दर-साल साथ निभाती है। एक बार झालर खरीद ली तो समझो बरसों की छुट्टी हो गई। इनकी डिमांड देख चीन ने इसे इंडियन लुक में नकल कर भेजा है। लेकिन अब देशी झालर बाजार से गायब हैं।
जीरो वाट वाली लड़ी:
पुरानी फैंसी लाइट की तरह चाइना जीरो वॉट वाली लड़ी भी लाई गई है। यह फैंसी लाइट 400 से 500 रुपये में बिक रही है। लाइट वाला पाइप भी नए आइटम में है। इसे घर के कोनों में खड़ा कर दीजिए कमरा रोशन होता रहेगा।