रोशनी का पर्व दीपावली आज, बाजारों में जमकर हुई खरीदारी

लखनऊ। प्रकाश का पर्व दीपावली इस वर्ष 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में दिवाली सबसे बड़ा त्योहार होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। दिवाली रोशनी का पर्व है। मान्यता है इस दिन भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्ति के बाद अयोध्या आए थे जिसकी खुशी में सभी नगरवासी अपने प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाएं थे। इसके अलावा ऐसी मान्यता भी है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। कार्तिक अमावस्या पर दीपदान करने का विशेष महत्व होता है।

दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त
31 अक्टूबर को पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है। पहला मुहूर्त- शाम 5 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट के बीच रहेगा, जो प्रदोष काल का समय है। दूसरा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा और ये पूजन वृषभ लग्न में होगा।

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त 2024
शुभ चौघड़िया शाम 4:13 से 5:36 तक (31 अक्टूबर 2024)
अमृत चौघड़िया 5:36 से लेकर 7:13 तक (31 अक्टूबर 2024)
चर चौघड़िया 7:13 से लेकर 8:50 तक (31 अक्टूबर 2024)
लाभ चौघड़िया 12:04 अट से लेकर 1:42 अट तक (1 नवंबर 2024)
अगले दिन शुभ चौघड़िया 03:19 ए एम से 04:56 ए एम (1 नवंबर 2024)
अगले दिन अमृत चौघड़िया 04:56 ए एम से 06:33 ए एम (1 नवंबर 2024)

दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि:
दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें। इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें। फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें। स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। माता लक्ष्मी और गणेश जी को हार पहनाएं। इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें। फिर पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।

डिजाइनर श्रीगणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाओं से पटा बाजार:
धनतेरस से दीपोत्सव की खरीदारी का दौर शुरू हो चुका है और दीपावली के दिन रविवार तक चलता रहेगा। समृद्धि की प्रतीक मां लक्ष्मी और शुभता के देव श्री गणेश की पूजा के चलते बाजार में डिजाइनर प्रतिमाएं मौजूद हैं। हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत महंगी हैं। दुकानदार सोनी ने बताया कि महंगी मिली है तो उसी हिसाब से फायदे के साथ बिक्री कर रहे हैं।

खील 180 से 220 रुपये किलो :
खील, चूरा, चीनी के खिलौने, खुटिया, लइया की दुकानें भी सज गई हैं। दुकानदार गोपी ने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल रौनक अधिक है। हर सामान पिछले साल के मुकाबले 10 से 20 रुपये की महंगा है। मंगलवार से बिक्री शुरू होने की उम्मीद है। खील 180 से 220 रुपये प्रति किलो, चूूरा 60 से 90 रुपये प्रति किलो, लइया 60 से 80 रुपये प्रति किलो, खुटिया 130 से 180 रुपये प्रति किलो, गट्टी 130 से 190 रुपये प्रति किलो, बड़ी गट्टी 110 से 140 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।

जैसी प्रतिमाएं वैसा दाम:

मिट्टी की छोटी प्रतिमा 40-60 रुपये, मध्यम श्रेणी की प्रतिमा 50 से 70 रुपये, बड़ी प्रतिमाएं-200 से 300 रुपये, वस्त्रों वाली प्रतिमाएं 400 से 600 रुपये, मां लक्ष्मी के चरण प्रति पीस-20 से 30 रुपये, दीपक की बत्ती प्रति पैकेट 10 से 20 रुपये, आरती थाल 300 से 400 रुपये, श्री गणेश की माला 15 से 20 रुपये, मां लक्ष्मी के वस्त्र 40 से 50 रुपये, प्लास्टिक के तोरण 100 से 150 रुपये में बिक रहा है।

बाजारों में राजस्थानी तोरण और वंदनवार लोगों को आ रहे पसंद

लखनऊ। लखनऊ में अमीनाबाद से लेकर भूतनाथ बाजार की रौनक बता रही कि दीपावली आ गई है। बाजारों में जबर्दस्त भीड़ उमड़ी रही है। खासकर लोगों का जोर सजावटी सामान की खरीदारी पर दिखायी दे रहा है। दुकानदारों ने भी पिछली बार से कुछ हटकर चीजों से अपनी दुकानें सजाई हैं, जो ग्राहकों को आकर्षित कर रही हैं। ग्राहकों को पसंद आने वाली चीजों में मोतियों, स्टोन व नगों से बनी वंदनवार, साइड हैंगिंग शुभ-लाभ के तोरण, मोमबत्तियों और दीयों का विकल्प बनीं बैटरी वाली कैंडल लोगों को खूब आकर्षित कर रहीं हैं।
वंदनवार कुछ विशेष पत्तों या चीजों से बनी झालर होती है। किसी भी शुभ कार्य या पर्व पर इसे घर के द्वार पर लगाने के पीछे मान्यता है कि इससे कोई भी नकारात्मक चीज घर में प्रवेश नहीं करती। इस दीपावली राजस्थानी तोरण के साथ नगों, मोतियों और स्टोन से बने वंदनवारों की खासी डिमांड है।

यूज एंड सेव रंगोली है खास:
आमतौर पर कागज की रंगोली चिपकाने के बाद उसे हटाना मुश्किल हो जाता है। इसी तरह रंगों से बनाई रंगोली को कई दिन तक सहेजना मुश्किल है। जरा सा पैर लगा नहीं कि सब बेकार हो जाती है। ऐसे में इस बार बाजार में यूज एंड सेव रंगोली मौजूद है। ये मैटल और लकड़ी पर बनी है। इसकी कीमत 100 रुपये से शुरू होकर 1000 रुपये तक है। इसे सजाने के लिए सितारों, नगों और शीशे का इस्तेमाल किया गया है। इसे आप दरवाजों और आंगन के साथ दीवारों पर भी लगा सकते हैं। काम होने के बाद सुरक्षित निकालकर रखा भी जा सकता है।

रौनक देख कारोबारियों के चेहरे खिले:
सुस्त पड़े बाजार धनतेरस से पहले ही गुलजार हो गए हैं। त्योहारी सीजन में बाजार में रौनक बढ़ गई है। ग्राहकों की भीड़ के चलते जाम की स्थिति पैदा होने लगी है। दीपावली पर शहर के लोगों ने अपनी पसंद की चीजों की खरीदारी शुरू कर दी है। शहर के फुटपाथों पर लक्ष्मी-गणेश जी की मिट्टी की मूर्तियों की खरीदारी भी जोर शोर से हो रही है। इस बार बर्तन, सोना, चांदी के साथ-साथ कपड़ा व्यापारियों को काफी उम्मीदें हैं। आॅटोमोबाइल के शोरूम में भी लोगों की भीड़ दिखने लगी हैं। लोग सामान की बुकिंग कराने से पहले सामान की पड़ताल करने में लगे हुए हैं। धनतेरस को लेकर बाजारों में दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों को चमक-धमक से सजाया हुआ है। चाइनीज आइटम की ओर लोगों का इस बार भी रुझान कम दिख रहा है। बच्चों, महिलाओं व पुरुषों ने दीपावली पर सामान की खरीदारी शुरू कर दी है। बाजार में तरह तरह की बिजली की झालर और घर को जगमगाने के लिए इलेक्ट्रोनिक आइटमों की धूम है।

पसंद आ रहे पट्टे वाले हैगिंग:
अमीनाबाद खरीदारी करने पहुंची निशि रस्तोगी ने पट्टे वाले शुभ.लाभ लिखे हैंगिंग खरीदे। उनके मुताबिक शुभ-लाभ लिखी चीजें तो हर बार खरीदते ही हैं, ये इस बार कुछ हटकर लगाए इसलिए लिया। एक जोड़ी की कीमत 600 रुपये हैं। दुकानदार अलताफ कहते हैं कि लड़ियों वाले साइड हैंगिंग में भी इस बार नए डिजाइन आए हैं। पहले फूल वाले ज्यादा चलते थे। इस बार नग, मोती और स्टोन के हैंगिंग ज्यादा हैं। ये गुजराती व राजस्थानी संस्कृति की झलक देता है। ये 400 से 800 रुपये में उपलब्ध है।

पटाखा लाइट से रोशनी भी धमाके भी


नाका हिंडोला क्षेत्र के व्यापारी सतपाल सिंह मीत बताते हैं कि पटाखा लाइट चर्चा में रहती है। यह रिमोट से चलती है। इसकी कीमत बाजार में 1500 से 2200 के बीच है। यह लोगों का पसंदीदा आइटम है। लड़ियों की संख्या के हिसाब से कीमत कम और ज्यादा होती है। तो धनिया नया आइटम है। कारोबारी मीत कहते हैं कि इसकी लाइट हरी धनिया के पत्तियों के बीच झिलमिलाते जुगनू का अहसास कराती है। 280 से लेकर 300 रुपये प्रति पीस तक है। बारिश जैसे अंदाज में लड़ों से पानी गिरने का अहसास कराने वाली यह झालर भी महंगी और खूब पसंद की जाने वाली है।

झालर लटकाने के झंझट से बचना चाह रहे तो ट्री हैं ना
अगर झालर लटकाने और मुख्य दरवाजे पर झालर की रोशनी ठीक ढंग से नहीं पहुंच पा रही है तो इस बार नए तरह के हरे और रंगीन लाइट वाले पेड़ भी हैं। आर्यानगर के राजदीप सिंह छाबड़ा बताते हैं कि यह ”ट्री” दो फीट से लेकर छह फीट तक की ऊंचाई के हैं। इसकी मध्यम रोशनी लोगों को आकर्षित करने वाली है। अलग-अलग रंगों में यह पेड़ आपको दुकानों पर रुकने को मजबूर कर देंगे। इनकी खूब डिमांड है। इसकी कीमत पांच सौ रुपये से लेकर दो हजार रुपये तक है।

रॉकेट बल्ब एवं टेंपिल झालर
रॉकेट बल्ब झालर सस्ती है। छाबड़ा के मुताबिक दस से लेकर 450 रुपये तक की टेंपिल लाइट बाजार में है। यह सस्ता आइटम कम लागत में बेहतरीन रोशनी देता है। जलने-बुझने के स्टाइल वाली यह लाइट पसंद की जा रही है। एवरग्रीन आइटम के रूप में इसे माना जाता है।

देशी लाइट ने निकाला चाइनीज का दिवाला
एक दौर था जब चाइनीज लाइट और झालर खूब पसंद की जाती थीं। कम कीमत और छोटी एलईडी वाली इन झालरों की डिमांड थी। लेकिन बीते पांच साल में चीन के इस आइटम पर देशी झालरों ने अपना दबदबा बना दिया। वजह यह है कि इसे फेंकने की नौबत नहीं आती है और इसके बल्ब आसानी से मिल भी जाते हैं। साथ ही इनकी रोशनी और अलग-अलग रंगों में होने वाली झिलमिलाहट साल-दर-साल साथ निभाती है। एक बार झालर खरीद ली तो समझो बरसों की छुट्टी हो गई। इनकी डिमांड देख चीन ने इसे इंडियन लुक में नकल कर भेजा है। लेकिन अब देशी झालर बाजार से गायब हैं।

जीरो वाट वाली लड़ी
पुरानी फैंसी लाइट की तरह चाइना जीरो वॉट वाली लड़ी भी लाई गई है। यह फैंसी लाइट 400 से 500 रुपये में बिक रही है। लाइट वाला पाइप भी नए आइटम में है। इसे घर के कोनों में खड़ा कर दीजिए कमरा रोशन होता रहेगा।

डिजिटल पटाखों से रोशन होगी दीपावली, प्रदूषण भी होगा कम


लखनऊ। आतिशबाजी के बिना दीपोत्सव की कल्पना करना बेमानी है। शुभता के प्रतीक श्री गणेश और समृद्धि की प्रतीक मां लक्ष्मी के पूजन के साथ आतिशबाजी के बीच दीपावली का उल्लास दो गुना हो जाता है। पारंपरिक फुलझड़ी, अनार, मेहताब के साथ ही इस राकेट आसमान में सतरंगी डिजिटल रंग बिखेरेगा तो क्यू आर कोड पटाखे की पर्यावरण की अनुकूलता की जानकारी देगा।
डिजिटल पटाखों में कई नई रेंज भी बाजार में मौजूद है। 150 मीटर ऊंचाई पर जा कर डिजिटल रंग-बिरंगे गोली छोड़ता है। काकोरी में पटाखे की थोक दुकानों पर खरीदारी का दौर शुरू हो गया है। पटाखे की दुकान पर बटरफ्लाई, रिंग व्हील, जुगनू प्लस, स्पाइडर व्हील जैसे पटाखे आकर्षण का केंद्र हैं तो तेज आवाज वाले पटाखों की ओर से लोगों का रुझान कम है। लखनऊ आतिशबाजी व्यापार कल्याण समिति के अध्यक्ष महेश गुप्ता ने बताया कि बाजार में आसमानी फैंसी आइटम की भरमार है। इस बार टिक टाक, रियों थ्रीडी फैंटैसी फिश, हाट गर्ल एमिलन के नाम से पटाखे बाजार में लोगों की पहली पसंद बने हुए है । गैस सिलेंडर ग्रेनाइट के साथ माकटेल पटाखे लोगों को उत्सवी रंग का एहसास कराएंगे। कम आवाज वाले ट्रेकिंग कोकोनट और गोल्ड छतरी भी ग्राहक खरीद रहे हैं। गोल्डन छतरी सुनहरी रोशनी के साथ बाजार में छा जाता है तो ग्रीन मोतियों का प्रकाश चकाचौंध का एहसास कराएगा। इको फ्रेंडली पटाखे की पहचान के लिए ग्रीन लोगों और क्यूंरकोड है । इस बार कैमरे के फ्लैश वाली लाइट वाले स्पेशल पटाखे भी बाजार में आए हैं। इन पटाखों को जलाने पर कैमरे की फ्लैश लाइट जलती दिखाई देगी। म्युजिकल पटाखे की लड़ी है तो एक हजार से दस हजार धमाके वाले पटाखे की लड़ी को इको फ्रेडली है। शार्प शूटर गन के नाम से पटाखे जैसी आवाज निकलती है।

शोर कम-रोशनी ज्यादा:
इस दिवाली शहर में शोर करने वाले पटाखे कम जलने के आसार हैं। इनके मुकाबले रोशनी वाले पटाखे ज्यादा जलेंगे। दरअसल, इस बार मार्केट में ही तेज धमाका करने वाले पटाखे कम आए हैं। अगर आप बहुत तेज आवाज वाले पटाखे खरीदना चाहते हैं तो इस बार आपको निराशा ही हाथ लगेगी। यहां तक कि 500 से 3000 राउंड क्षमता वाले चटाई बम भी बाजार में कम देखने को मिल रहे हैं। पटाखों के थोक व्यवसायी गुलशेर आजाद के मुताबिक, इस बार रोशनी वाले पटाखे खूब आए हैं। इनकी कीमत 15 रुपये से 15 हजार रुपये तक है। महंगे पटाखों में एक हजार लाइट एक साथ निकल रही हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले अनार भी खूब हैं। इनकी कीमत 450 से 1500 रुपये तक है।

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