राज्यसभा में गतिरोध जारी, विपक्ष के हंगामे के बीच किशोर न्याय संशोधन विधेयक को मिली मंजूरी

नयी दिल्ली। पेगासस जासूसी विवाद, तीन कृषि कानूनों, महंगाई सहित विभिन्न मुद्दों पर राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही बुधवार को भी बाधित हुई और तीन बार के स्थगन के बाद बैठक दो बज कर 55 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
हंगामे के बीच, उच्च सदन ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है।

 

विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि यह संशोधन विधेयक क्यों लाया गया है। उन्होंने कहा कि इस हंगामे के बावजूद, सदन इस बात पर निश्चित रूप से सहमत होगा कि देश में बच्चों को संरक्षण और समर्थन के लिए उनका ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है।

 

विधेयक पर चर्चा के लिए पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने सदस्यों के नाम पुकारे। इनमें से कुछ सदस्य सदन में नहीं थे, कुछ आसन के समक्ष हंगामा कर रहे थे और कुछ ने सदन में व्यवस्था न होने का तर्क दे कर अपनी बात नहीं रखी। चर्चा में किसी सदस्य के हिस्सा न लेने पर पीठासीन अध्यक्ष कालिता ने मंत्री से कहा कि वे विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव करें। स्मृति ने विधेयक पारित करने के लिए प्रस्ताव किया और ध्वनि मत से विधेयक को मंजूरी दे दी गई। इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था। सदन में व्यवस्था न बनते देख पीठासीन अध्यक्ष ने अपराह्न दो बज कर 55 मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

 

इससे पहले, सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने जब शून्यकाल शुरू करना चाहा, उसी दौरान विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आ कर हंगामा करने लगे। तब सभापति ने राज्यसभा सचिवालय को शून्यकाल में मुद्दे उठाने के लिए नोटिस देने वाले सदस्यों के नाम और उनके मुद्दे का ब्यौरा प्रकाशित करने को कहा। सभापति ने कहा कि इससे लोगों को पता चल सकेगा कि सदस्य कौन-कौन से मुद्दे उठाना चाहते थे लेकिन व्यवधान के कारण नहीं उठा सके। उन्होंने कहा यह सार्वजनिक होना चाहिए। इसके बाद उन्होंने बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

 

एक बार के स्थगन के बाद बारह बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा। प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्य अपनी मांगों को लेकर नारे लगाते हुए और तख्तियां लहराते हुए आसन के समीप आ गये। हंगामे के बीच ही सदन में प्रश्नकाल हुआ। उपसभापति हरिवंश ने सूचीबद्ध सभी पूरक प्रश्नों के जवाब पूरे कराए और 12 बज कर करीब 40 मिनट पर बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी। दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर भी सदन में हंगामा जारी रहा। पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने आसन के समीप आकर नारेबाजी कर रहे सदस्यों से शांत रहने और कार्यवाही सुचारू रूप से चलने देने की अपील की।

 

हंगामे के बीच ही महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 को चर्चा के लिए पेश किया। शोरगुल के बीच ही स्मृति ईरानी ने इस विधेयक पर अपनी शुरूआती टिप्पणी की। इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस की शांता छेत्री की तबियत खराब हो गई और आसन ने बैठक दो बजकर करीब 15 मिनट पर आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।

 

पौने तीन बजे कार्यवाही पुन: शुरू होने पर पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने सूचित किया कि तृणमूल सदस्य के स्वास्थ्य में सुधार है और डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। फिर उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक पर अपनी बात पूरी करने को कहा। विधेयक पर, हंगामे के कारण चर्चा नहीं हो पाई और इसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। इसके बाद पीठासीन अध्यक्ष ने दो बज कर करीब 55 मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

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