नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई गिरावट एक चुनौती बनी रहेगी लेकिन भारत इसे अपनी अर्थव्यवस्था के लिए बाधा की तरह नहीं बल्कि अवसर की तरह देख रहा है। विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने गुरुवार को यह विचार व्यक्त किया। श्रृंगला राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय द्वारा आयोजित एक वर्चुअल संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारत नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए काम करने को प्रतिबद्ध है। यह नियम कानून सम्मत, पारदर्शी, नौवहन की स्वतंत्रता, भौगोलिक एकता और संप्रभुता का सम्मान और विवादों के शांतिप्रिय समाधान पर आधारित होने चाहिए। उनकी यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख, दक्षिण चीन सागर एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के विस्तारवादी व्यवहार के बीच सामने आई है।
उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य सभी देशों के आर्थिक और सुरक्षा हितों का सम्मान करना है। श्रृंगला ने कहा कि भारत ने अपने विकास के अनुभवों को अपने सहयोगियों के साथ बांटने का अनोखा तरीका विकसित किया है। यह दुनिया के विभिन्न भौगोलिक इलाकों में बेहतरी के लिए ताकत होने की भारत की रणनीतिक आकांक्षाओं को दिखाता है।
उन्होंने कहा, महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट आने वाले समय में हमारे लिए एक चुनौती बनी रहेगी। यह ठीक वैसी होगी जैसी हमने 2008 में आई आर्थिक मंदी के वक्त देखी थी। इस तरह के बड़े झटके से बहुत सावधानीपूर्वक बाहर आने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने महामारी से निबटने के भारत के प्रयासों के बारे में भी चर्चा की।
श्रृंगला ने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के इस तरह से टूटने ने हमें पहली बार वैकल्पिक संभावनाओं को तलाशने और उसके बारे में सोचने का मौका दिया है। उन्होंने कहा, भारत इस चुनौती को बाधा के तौर पर नहीं बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और वैश्विक प्रणाली के फिर से संतुलित होने के अवसर के तौर पर देख रहा है। श्रृंगला ने कहा कि महामारी ने देशों की कमियों को उजागर किया है और रणनीतिक स्वायत्ता को फिर से लागू करने की जरूरत बताई है।