कोरोना महामारी : दर्द, दावे और दवाईयां

चीन से लेकर अमेरिका स्विट्जरलैंड, जापान, इजराइल और ब्रिटेन से स्पेन तक कई देशों की दवा कंपनियां इस बात के दावे कर रही हैं कि इस दर्द की दवा उनके पास है, जितने देश उतनी दवाइयां। मगर जब गुजर जायेगी महामारी क्या तब तक चलती रहेगी इनको बाजार में उतारने की तैयारी? चिकित्सक हेपेटाइटिस सी, बी, डेंगू, इबोला, जीका, एड्स, लीवर मजबूत करने वाली, दमा, जुकाम, बुखार, नजला, सार्स ,मार्स, मलेरिया, गठिया, सिरदर्द, बदन दर्द और बुखार, दस्त और यहां तक कि जुएं मारने वाली दवा तक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने 10 हजार से अधिक यौगिकों में से छह ऐसी दवाएं छांटी हैं, जो कोरोना के इलाज में कारगर हो सकती है। अब देखना है ये हाथ कब आती हैं?

कोरोना की वैक्सीन से पहले उसकी दवा बाजार में होगी। वैक्सीन के आने में अभी समय लगेगा। संभव है कि खाने वाली गोली, कैप्स्यूल, नाक में डालने वाली तरल दवा अथवा नसों में देने वाले इंजेक्शन इससे पहले आ जायें। कई विश्वविद्यालय, शोध संस्थान, दवा कंपनियां, बहुतेरे वैज्ञानिक, एलर्जी और संक्रमण रोगों पर अध्ययन करने वाली संस्थाएं भी दवा विकसित करने में लगी हैं।

इजरायल की एक कंपनी के अलावा कम से कम दो ऐसी दवा कंपनियां हैं, जो अपनी दवा को छह महीने के भीतर उत्पादन की स्थिति में पहुंचा देंगी। इसे देखकर लगता है कि संभव है कि साल के आखिर तक कोरोना की कुछ दवाएं आम हो जायें। मुख द्वारा ली जाने वाली दवा नसों में लगाए जाने वाले इंजेक्शन से ज्यादा प्रभावी हैं, यह ज्यादा लोगों तक आसान पहुंच रखती है और आसानी से किसी के भी द्वारा इस्तेमाल की जा सकती है। इसलिए वैक्सीन के आने से पहले निगलने वाली दवा का आना बहुत जरूरी है। इजरायली कंपनी का दावा है कि उनकी दवा बहुत प्रभावी है और जांच परख अंतिम चरण में है। इस दवा से अगर कोई मरीज शुरु आती दौर में है तो उसे बहुत शीघ्र ही पूर्ण लाभ होगा और अगर रोग बिगड़ चुका है तो किंचित देर लग सकती है।

ईआईडीडी-2801 नामक एक दवा जो अभी पूरी तरह दवा नहीं बनी है इसलिये इसका व्यावसायिक नाम भी नहीं दिया गया है, इसके साल्ट या मिश्रण के रासायनिक अवयव न पता चल जायें, इसलिये इसे इस तरह के कूट या संक्षिप्त नाम से उद्धृत किया जा रहा है। यह फिलहाल कोरोना के इलाज के लिये प्रयुक्त एंटीवायरल दवाओं से बहुत अलग है। यह दवा शरीर के भीतर पहुंचकर कोरोना विषाणुओं तक पहुंचती है और उनके आरएनए की संरचना को नुकसान पहुंचाती है, डैमेज कर देती है। छिन्न-भिन्न हुआ यह वायरस न ही अपने को कई वायरस में उत्पादित कर पाता है, न ही उसका उत्परिवर्तन या म्यूटेशन हो पाता है।

ऐसे में वायरस का प्रकोप और संक्रमण रु क जाता है। कोशिकाओं के भीतर संक्रमण रु क जाता है तो इस बीच दूसरी सहायक एंटीवायरल दवाएं और अन्य रसायन काम कर जाते हैं। सभी दवाओं के प्रभावी होने के चलते इससे रोगी शीघ्र ही चंगा हो सकता है। दावा यह भी है कि एआईडीडी-2801 एक बहुद्देश्यीय दवा हो सकती है जो चिकन गुनिया और एंसेफेलाइटिस तथा ऐसे ही कुछ दूसरे वायरस जनित रोगों के लिये भी प्रभावी बन सके।

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