एसएनए में तीन नाटकों का मंचन
लखनऊ। एमरन फाउण्डेशन की ओर से संत गाडगे जी महराज प्रेक्षागृह में रंगमंच की शाम सजी। लफ्ज की गठरी-कुछ पन्ने में तीन नाटक बड़ी दीदी, अकेली और यादें का मंचन किया गया। जिसमें रत्ना पाठक शाह, सीमा पाहवा, अनुभा फतेहापुरा, मनुकृति पाहवा का प्रभावी अभिनय देखने को मिला। यह 90 मिनट का नाट्य-प्रदर्शन प्रसिद्ध रंगकर्मी सीमा भार्गव पहवा के निर्देशन में प्रस्तुत किया गया। जिसमें प्रतिष्ठित भारतीय लेखकों से प्रेरित तीन कालातीत नाटक प्रस्तुत किए गए। नाट्य संग्रह में पहला नाटक बड़ी दीदी था। इसमें मनुकृति पाहवा और जया विरली ने अभिनय करते हुए भाई-बहनों के बीच प्रतिद्वंद्विता और बहनचारे की एक हास्यपूर्ण और हृदयस्पर्शी खोज दिखायी। जिसमें दो विपरीत बहनें अपने रिश्ते में प्रेम, प्रशंसा और अनुशासन का निर्वहन करती हैं। दूसरी कहानी मन्नू भण्डारी की अकेली थी। जो सोमा बुआ की कहानी है। जिसमें एक बुजुर्ग महिला को उसके परिवार ने त्याग दिया है। प्रासंगिकता और जुड़ाव की तलाश में है। अकेली उम्र बढ़ने, अदृश्यता और अपनेपन की मानवीय जरूरत का एक मार्मिक चित्रण है। इस कहानी को अनुभा फतेहपुरा ने अभिनय से जीवंत किया। तीसरी मंचित कहानी भीष्म साहनी की यादें रही। जिसे रत्ना पाठक शाह और सीमा भार्गव ने अपने सशक्त अभिनय से यादगार बनाया। जिसमें दो दोस्तों की अपने जीवन के अंतिम क्षणों में फिर से मिलने, यादों और खामोशियों को ताजा करने की मार्मिक कहानी है। इस मौके पर एमरन फाउण्डेशन की अध्यक्ष रेणुका टंडन, प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी, अराधना शुक्ला, पूजा प्रसाद, संजय प्रसाद, संस्कृति सचिव मुकेश मेश्राम, संगीत नाटक अकादमी अध्यक्ष प्रो. जयंते खोत, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मांडवी सिंह, एसएनए निदेशक डॉ शोभित कुमार नहर , वंदना अग्रवाल, विपुल गौड़, अंजु नारायण, विभा अग्रवाल, रचना टंडन, उषा विश्वकर्मा, दीपक, विकास, लक्ष्मी और संगीता बनर्जी मौजूद रहे।