नयी दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने रविवार को केंद्रीय मंत्रालयों के व्यवसायों को समयबद्ध सेवाएं देने की गारंटी के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की अपील की।
सीआईआई ने यह भी कहा कि इसमें देरी या कमियों के लिए दंड और एक मजबूत शिकायत निवारण ढांचा भी शामिल होना चाहिए। भारतीय उद्योग परिसंघ ने तर्क दिया कि यह सुधार नियामकीय निश्चितता को मजबूत करने, पूर्वानुमान को बढ़ाने और भारत में समग्र रूप से कारोबारी सुगमता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
उद्योग मंडल ने कहा कि एक प्रमुख चुनौती मंजूरी की समयसीमा को लेकर अनिश्चितता के बारे में है, जिससे देरी और लागत में वृद्धि होती है। सीआईआई ने कहा कि इस मुद्दे का समाधान करने से भरोसा मजबूत होगा और समय पर सेवाएं देने में मदद मिलेगी। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, विभिन्न क्षेत्रों में समयसीमा अनिवार्य करने की सराहनीय पहल के बावजूद, व्यवसायों को प्रक्रियात्मक देरी, नियामकीय अनिश्चितता और समयसीमा का पालन न करने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे परिचालन दक्षता और दीर्घकालिक निवेशयोजना पर गहरा असर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, सरकारी रिफंड, धन और सब्सिडी के वितरण और व्यवसायों के दाखिल रिटर्न पर सरकारी विभागों द्वारा दावे करने जैसे क्षेत्रों में भी सख्ती से लागू समयसीमा का अभाव महसूस किया जाता है। इससे अक्सर नकदी प्रवाह में बाधा पैदा होती है और अनुपालन बोझ तथा अनिश्चितता बढ़ जाती है। हालांकि, ज्यादातर भारतीय राज्यों ने अपने सेवा का अधिकार या लोक सेवा गारंटी अधिनियम बनाए हैं, जो नागरिकों को तय सार्वजनिक सेवाओं का समय पर लाभ सुनिश्चित करते हैं, लेकिन केंद्रीय मंत्रालयों के लिए ऐसा कोई केंद्रीय कानून मौजूद नहीं है।