दादी नानी की कहानी सुन बच्च्चों को मिली सीख

मुश्किल समय में नहीं हारेंगे हिम्मत
स्टोरीमैन जीतेश ने सुनाई पारम्परिक लोककथा

लखनऊ। विपरीत परिस्थितियां हों तो मन पर संयम रखते हुए सूझबूझ से कैसे उससे पार पाया जा सकता है यह सीख शनिवार को लोक कथा के माध्यम से बच्चों को मिली। लोक संस्कृति शोध संस्थान की श्रृंखला दादी-नानी की कहानी का 58वां आयोजन पलटन छावनी स्थित बाल निकुंज इंग्लिश स्कूल में हुआ। स्टोरीमैन जीतेश श्रीवास्तव ने पारम्परिक लोक कथा सूरज चन्दा सुनाई। बच्चों ने कहानी पर आधारित बोधात्मक प्रश्नों के उत्तर भी दिये।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मनोरंजक खेल से हुआ। बच्चों ने कठिन वाक्यों का उच्चारण अभ्यास किया। कहानी में मुन्ना मुन्नी नामक भाई बहन की बहादुरी और सूझ-बूझ से अपनी जान बचाने का नाटकीय वृतान्त था जिसके माध्यम से बच्चों को मुश्किल समय पर भी ना घबराने की सीख मिली। बाल निकुंज समूह के प्रबन्ध निदेशक एच. एन. जायसवाल ने एकाग्रता का महत्व बताते हुए कहा कि जिस किसी काम को करें तो एकाग्र होकर करें। पढ़ाई के समय पूरा ध्यान पढ़ाई पर और खेल के समय खेल पर होना चाहिए। कक्षा में पढ़ाई के समय मन यदि कहीं और रहेगा तो पिछड़ने से कोई नहीं रोक सकता। कार्यक्रम के पूर्व विद्यालय की प्रधानाचार्य रश्मि शुक्ला ने कथा प्रस्तोता समूह का स्वागत किया। इस दौरान लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार शम्भूशरण वर्मा, जनवीणा चैरिटेबल ट्रस्ट की उपाध्यक्ष संगीता पाण्डेय, डा. एस.के.गोपाल के साथ ही शिक्षक एवं पूर्व माध्यमिक स्तर की छात्र-छात्रायें उपस्थित रहीं।

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