उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व सम्पन्न, जयकारों से गूंजे घाट
लखनऊ। उगा हे सूरज देव भोर भिनसरवा, अरघ के रे बेरवा हो…, कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकल जाए…, छठी मैया के ऊंची रे अररीया, ओह पर चढ़लो ना जाए…जैसे छठ गीतों से शहर घाट गुंजमान रहे।
शुक्रवार को सूर्य भगवान के दर्शन होते ही सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने पति की लम्बी उम्र, परिवार के स्वास्थ्य ओर धन की प्रार्थना के साथ अपना व्रत खोला। इसके बाद प्रसाद वितरण करने के साथ ही ढोल पर नाचते-गाते श्रद्धालुओं का उत्साह दोगुना हो गया। छठ मेला घाट लक्ष्मण मेला मैदान हो या फिर गोमती तट पर स्थित झूलेलाल पार्क, कुड़ियाघाट, पक्कापुल संझिया छठ घाट। शहर का कोई कोना नदी किनारे नहीं बचा था जहां सुबह से ही सूर्य को अर्घ्य देने के लिए महिलाओं का सैलाब न जुटा हो।
चार दिन की पूजा के बाद शुक्रवार सुबह छठ महापर्व का अदभुत सा नजारा, उत्साह और जोश देखते ही बना। भोजपुरी गीतों की हर जगह गूंज, छठी मइया के जयकारे, नदी में उतकर सूर्य भगवान का इंतजार, पारंपरिक वेशभूषा पहने महिलाओं का श्रद्धा भाव और परंपराओं को संजोये रखने का खास व्रत सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त हो गया। शुक्रवार तड़के जब बाकी शहर नींद में था तब छठ का व्रत करने वाली महिलाएं अपने परिवार के साथ घाटों पर पहुंच चुकी थीं। कई ने तो पूरी रात घाट पर ही बिताई थी। एक दिन पहले छोटी छठ के मौके पर जितनी भीड़ घाटों पर थी शुक्रवार की सुबह भी वही उत्साह और उतना ही जनसमूह नजर आ रहा था। मेला जैसा माहौल, पैर रखने की जगह तक नहीं बची। उत्सव के तमाम अलग-अलग रंग लिए डाला छठ का यह महापर्व एक साल के लिए विदा हो गया। तकरोही, इंदिरानगर में दीनदयाल पुरम, पूर्वांचल छठ सेवा समिति की ओर से उत्तराखंड महापरिषद मैदान के बगल मे पूर्वांचल छठ घाट और शिव मंदिर घाट निकट बैरल नम्बर दो बन्धा रोड खदरा सीतापुर रोड पर गोमती नदी में छठ पूजा घाट पर सुर्य को अर्घ्य देने महिलाएं जुटीं।
गीतों का गुलदस्ता पेश किया:
लक्ष्मण मेला मैदान पर अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि 18 घंटे 150 कलाकारों की प्रस्तुतियों का भी सोमवार को समापन हुआ। यहां छठ मइया के पारंपरिक गीतों का गुलदस्ता पेशकर लोकगायकों और व्रती महिलाओं के समूह ने माहौल को भक्ति से सराबोर किए रखा। कलाकारों ने स्वर्ग से उगीं न सुरुजमल पुर खेते करीं न अजोरए करीं अरजी तोहार…, केरवा फरेला घवद से ओहे पे सुगा मंडराय…, और देवी मइया सुन ला अरजिया हमार…, सरीखे गीतों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दीं।
घाट के विस्तार की मांग करेंगे:
अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के प्रभुनाथ राय ने कहा कि छठ महापर्व सकुशल संपन्न हो गया है। आयोजन को सकुशल संपन्न कराने के लिए सीएम योगी, सरकार, जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस और एलडीए का आभार जताया। वहीं व्रतियों की मांग पर उन्होंने घाट के विस्तार की भी बात कही। प्रभुनाथ ने कहा कि घाट विस्तार के लिए वह शासन प्रशासन स्तर पर बात कर अपनी मांग रखें।
हनुमत सेवा समिति ने छठ घाट पर बांटी चाय
लखनऊ। लक्ष्मण मेला छठ घाट पर हनुमत सेवा समिति ने शुक्रवार 8 नवम्बर को छठ व्रतियों और उनके सम्बंधियों को गाय के दूध से बनी चाय वितरित कर छठ व्रत का पारण करवाया। समिति के अध्यक्ष विवेक पाण्डेय ने इस अवसर पर लोगों को नदी और उनके तट जैसे प्राकृतिक संसाधनों को स्वच्छ रखने का संकल्प भी करवाया।
सात नवम्बर को जहां बड़ी संख्या में व्रतियों ने छठ घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया वहीं शुक्रवार आठ नवम्बर की सुबह भी बड़ी संख्या में व्रतियों और उनके सम्बंधियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजन अर्चन कर सौभाग्य की कामना की। इसके साथ ही फल और ठेकुआ आदि प्रसाद में बांटा। इस अवसर पर हनुमत सेवा समिति ने खासतौर से गाय के दूध से बनी चाय वितरित की। दरअसल गाय के दूध में विटामिन बी-12 पाया जाता है। गाय के दूध में 80% प्रोटीन कैसिइन पाया जाता है जो पूरे शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट को पहुंचाता है और पाचन में मदद करता है। गाय के दूध से कैंसर तक का खतरा कम किया जा सकता है। गाय के दूध में विटामिन-डी उच्च मात्रा में पाया जाता है। हनुमत सेवा समिति की ओर से कुष्ठ रोगियों के लिए प्रत्येक अमावस्या पर भोजन दवाओं आदि के वितरण का भी अभियान संचालित किया जा रहा है। इसके साथ ही हनुमान चालीसा के पाठ को प्रोत्साहित करने के लिए नि:शुल्क हनुमान चालीसा का वितरण भी कर रहे हैं।
महाकालेश्वर मंदिर परिसर में छठ महापर्व
लखनऊ। महाकालेश्वर सेवा समिति द्वारा विगत वर्षों की भांति छठ महापर्व का आयोजन बहुत ही हर्षो उल्लास के साथ टिकैत राय सचिवालय कॉलोनी राजाजीपुरम के महाकालेश्वर मंदिर परिसर” में सम्पन्न हुआ।
छठ पूजा के आयोजन में भारी संख्या में क्षेत्र की महिलाएं पहुंची और पूजन किया। जिसके बाद भक्तगणों ने आशीर्वाद प्राप्त किया। समिति के अध्यक्ष विनोद मिश्रा, वरिष्ठ पदाधिकारीगण अमित चंदेल और सत्यभूषण भटनागर के मार्गदर्शन में पुष्पेंद्र मिश्रा, सुजीत आर्य, समरेंद्र मिश्रा, शुभ भटनागर, आलोक मनोरी, शिवेंद्र मिश्रा और अखंड त्रिपाठी ने सक्रियता और कर्मठता के साथ आयोजन को सफल बनाने और छठ पूजन करने वाली महिलाओं तथा अन्य भक्तगणों के सुविधा का पूरा ध्यान दिया।
सफाई अभियान चलाकर स्वच्छता का संकल्प :
प्रभुनाथ राय के नेतृत्व में संगठन के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह, राष्ट्रीय सचिव वेद प्रकाश राय, विजय यादव, अमरीश राय, पीएम तिवारी, मनोज राय, रामविलास यादव समेत अन्य पदाधिकारियों व स्वयंसेवियों ने श्रमदान कर छठ घाट की सफाई की। सफाई में एलडीए उपाध्यक्ष इंद्रमणि त्रिपाठी, नगर निगम के कर्मचारी आदि रहे। पूजन सामग्री को एकत्र कर गड्ढा बनाकर उसमें प्रवाहित किया गया। घाट को साफ कर लोगों ने घर, मोहल्ले और अपने शहर को स्वच्छ रखने का संकल्प भी लिया।
सभी घाटों पर हुई छठ मइया की पूजा:
शुक्रवार सुबह को व्रती महिलाओं ने छठ पूजा के दौरान गोमती नदी पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समृद्धि की कामना की। कांचहि बांस की बहंगिया बहंगी लचकत जाय… गीतों के संग टोलियों में लक्ष्मण मेला स्थित छठ घाट पर पहुंची और छठ मइया के प्रतीक सुसुबिता पर दीप जलाया और सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रती महिलाओं ने गोमती के पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान सुख की और परिवार की समृद्धि की कामना की। उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने खदरा के शिव मंदिर घाट के साथ ही मनकामेश्वर घाट, झूलेलाल घाट सहित सभी घाटों पर महिलाओं ने पूजा-पाठ किया।
सुबह से ही बढ़ गई घाटों की खूबसूरती:
पूजा सम्पन्न होने के बाद कुछ देर तक उत्सव जैसा माहौल था। ढोल की धुन पर नाचते श्रद्धालु और आतिशबाजी के साथ घाटों की खूबसूरती और बढ़ गई। इसके बाद शुरू हुआ वापस लौटने का सिलसिला। नौ बजते-बजते लोग घाट से वापस लौटने लगे। मन में बिना किसी विघ्न के व्रत पूरा होने का संतोष, मां की कृपा के लिए उनके प्रति कृतज्ञता और अगले साल फिर आने के साथ, सर पर डाले रखे यहां आए परिवार वापसी की राह लेते दिखे।
सुबह से घाटों पर जुटी भीड़:
सुबह करीब चार बजे से ही लक्ष्मण मेला ग्राउंड, झूलेलाल वाटिका, खदरा घाट, मनकामेश्वर घाट पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। महिलाओं ने घर पर लौटने के बाद प्रसाद वितरण कर चार दिवसीय महापर्व का पारण किया। पहले व्रती महिलाओं ने घर पर भी छठी मइया की पूजा-अर्चना की। अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्टÑीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने भी भोर में ही परिवार के साथ पूजा अर्चना कृपा की कामना की।
घाट पर व्रतियों ने बांटा प्रसाद:
प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाए गए। इसके अलावा सांचा और फल भी प्रसाद के रूप में शामिल किए गए। व्रती महिलाओं ने पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया। सुबह अर्घ्य देने के बाद वे घाटों पर जानने वालों को प्रसाद बांटती नजर आईं।
गाय के कच्चे दूध और जल से अर्घ्य दिया
लखनऊ। छठ पूजा के चौथे दिन शुक्रवार को ऐशबाग स्थित मालवीय नगर पोस्ट आफिस पार्क में बनाए गए घाट पर भोर की सुबह में सैकड़ों की संख्या में व्रती महिलाओं के संग घर परिवार के लोग उपस्थित होकर माहौल को भक्तिमय बनाया दिया। सर्वप्रथम व्रती महिलाओं ने परिवार के संग पूजा स्थल घाट पर दीप जलाकर जगमग रोशनी से घाट को रोशन किया। व्रती महिलाओं जन समुदाय भोर की पहली किरण में हाथ में लिए हुए सूप में रखे पूजा का सामान लेकर नदी के जल में घुटने तक खड़ी हो गई थीए जैसे ही सूर्य भगवान उगे, व्रती महिलाओं के साथ खड़े उनके पति और उनके बेटों ने गाय के कच्चे दूध और जल का अर्घ्य दिया। इसके पश्चात सभी व्रती महिलाओं एक साथ घाट पर छठी मैया की परिक्रमा कर 36 घंटे चले निर्जला व्रत का समापन किया। इसके पूर्व व्रती महिलाओं ने दीपक से पारे हुए काला टीका बच्चों को लगाकर नजर न लगने का आशीर्वाद प्रदान कियाद्य इसके साथ महिलाओं ने वेदी पर एक दिन पूर्व में चढ़ाया हुआ चने का प्रसाद उठाकर ग्रहण किया और व्रती महिलाओं ने लोगों को पारंपरिक प्रसाद ठेकुआ के साथ ही चूरा, सिंघाड़ा, केला, सेब, संतरा, मिष्ठान इत्यादि को वितरित किया और वहां पर इस दौरान वहां खड़ी सास-सासुर समेत अन्य बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लेकर सुहाग और अपने पुत्र की लंबी आयु की प्रार्थना की। व्रती महिलाओं ने उपस्थित माताओं और बहनों को पीला सिंदूर लगाकर सभी के लिए सुख समृद्धि की कामना की। पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है। छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं।