नहाय खाय के साथ आज से शुरू होगा चार दिवसीय छठ महापर्व, छठ पूजा में सीएम योगी सहित तमाम मंत्री व नेता होंगे शामिल
लखनऊ। छठ महापर्व की तैयारियां जोरों से शुरू हैं। चार दिवसीय महापर्व 25 अक्टूबर को नहाय खाय से शुरू होगा जो कि 28 अक्टूबर को पूजन के साथ सुबह समाप्त हो जाएगा। लक्ष्मण मेला मैदान स्थित शहर के सबसे बड़े छठ घाट स्थल पर इसकी तैयारियों को लेकर पूरा प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है। घाट पर इंटरलॉकिंग सफाई, लाइटिंग, गोमती नदी को स्वच्छ करने, जलस्तर बढ़ाने आदि का काम युद्ध स्तर पर हो रहा है।
भोजपुरी समाज के अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण, सिंचाई विभाग और अन्य सभी विभागों के कर्मचारी एवं अधिकारीगण छठ पूजा घाट लक्ष्मण मेला मैदान गोमती तट लखनऊ पर उपस्थित होकर छठ पूजा को कैसे भव्य और दिव्या मनाया जाए उसमें भोजपुरी समाज के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं। छठ घाट की तैयारी से सबंधित सभी कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं। जो थोड़े बहुत कार्य बचे भी हैं वह भी आज शाम तक पूर्ण हो जाएंगे। पूरे छठ घाट पर सफाई की व्यवस्था, लाइटिंग की व्यवस्था आदि अन्य कार्य भी जोरों शोरों से चल रहा है। 27 अक्टूबर को सायंकाल 4 बजे सीएम योगी आदित्यनाथ छठ घाट लक्ष्मण मेला मैदान गोमती तट, लखनऊ पर आकर अर्ध देंगे। उनके साथ कई गणमान्य हस्तियां छठ पूजा कार्यक्रम में भाग लेंगी।
वहीं अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की ओर से जारी जानकारी के अनुसार छठ घाट पर साफ-सफाई, पुताई और मधुबनी की प्रसिद्ध पेंटिंग्स से सजावट का कार्य किया गया है। सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गयीं हैं। समाज के पदाधिकारी और जिला प्रशासन मिलकर आयोजन को भव्य रूप देने में जुटे हैं। कार्यक्रम में 200 लोक कलाकार 18 घंटे लगातार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे। प्रमुख कलाकारों में कल्पना पटवारी (असम), गोपाल राय (बलिया) और सुरेश शुक्ला (मुंबई) शामिल हैं। प्रभुनाथ राय ने बताया कि मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 27 अक्टूबर को शाम चार बजे सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे।
इस बार मुख्यमंत्री के लिए विशेष मार्ग तैयार किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं और पूजन करने वालों को कोई परेशानी न हो। गौरतलब है कि इस बार छठ के अंतर्गत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय, 26 अक्टूबर को खरना, 27 अक्टूबर को शाम का अर्घ्य और 28 अक्टूबर को प्रात: अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा। भगवान सूर्य की पूजा आदिकाल से होते आ रही है। पहले बिहार में ही छठ पूजा का शुरूआत हुआ। धीरे-धीरे पूरी दुनिया में छठ पूजा का आयोजन हो रहा है। भोजपुरी के लोग जहां भी गए अपनी बोली भाषा, संस्कृति को वहां तक ले गए। इस समय आधी दुनिया में छठ पूजा मनाई जा रही है। छठ पूजा भगवान सूर्य की पूजा है। साक्षात सूर्य भगवान देव हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति निरोगी रहता है। सभी महिलाएं अपनी पति, पुत्र की दीघार्यू होने के लिए व्रत करती हैं। छठ पूजा में जितना भी सामग्री का प्रयोग किया जाता है सब 6, 12, 24 की संख्या में रहती है। छठ पूजा सामाजिक समरसता एवं स्वच्छता का प्रतीक है। समाज के हर वर्ग के लोग एक साथ खड़े होकर भगवान सूर्य की पूजा करते है।
25 को नहाय खाय से शुरुआत:
छठ पूजा 25 अक्टूबर दिन शनिवार को खाय नहाए से शुरू होगा। 26 अक्टूबर को खरना होगा। उसके बाद 27 अक्टूबर को मुख्य पूजा शाम को अर्घ्य देकर शुरू होगी जो कि 28 अक्टूबर को उदयमान भगवान भास्कर सूर्य को अर्घ्य देकर कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।
सजाती रहीं सुशोभिता:
पूर्वांचल के लोगों ने गोमती किनारे विभिन्न घाटों पर पूजा की वेदियां सजाईं। दिनभर परिवार के लोग छठ मेला घाट, झूलेलाल वाटिका, कुड़ियाघाट और मनकामेश्वर मंदिर घाट पर सुशोभिताओं को सजाते देखे गए। सुशोभिता सजाने आई महिलाओं ने बताया कि व्रत में पंचमी से सप्तमी तक तीन दिन उपवास किया जाता है।
छठ माई के गीतों से गूंजे घाट:
छठ माई के गीतों से गूंजते घाट, अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती महिलाएं, हजारों की संख्या में सिर पर फलों की टोकरी लेकर आते लोग यह नजारा गुरुवार को देखने को मिलेगा। शाम 5 बजे के बाद धीरे-धीरे सूर्यदेव अस्तांचल की ओर बढ़ेंगे और नदी में खड़ी सुहागिन महिलाएं उन्हें अर्घ्य देने के साथ पुत्र की दीघार्यु की कामना करेंगी।
18 लाख लोग छठ पूजा में शामिल होंगे:
अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया कि शहर में जिला प्रशासन व नगर निगम की ओर से लखनऊ में होने वाले छठ पूजा के लिए करीब 110 जगह चिन्हित की गई हैं, जहां पर बड़ी संख्या में महिलाएं पुरुष इकट्ठा होकर पूजन करते हैं। प्रभुनाथ का दावा है कि लखनऊ में करीब 18 लाख लोग इस साल छठ पूजा में शामिल होंगे। बहुत जगह पानी की व्यवस्था नहीं है। वहां पर लोग अपने घरों या अगल.बगल के पार्कों में गड्ढा खोदकर उसमें पानी डालकर छठ पूजा करते हैं। उसके लिए भी नगर निगमए जल संस्थान से मांग की गई है कि पानी की उपलब्धता कराई जाए।
सुरक्षा से चाक चौबंद रहेगा घाट:
छठ पूजा को लेकर जिला प्रशासन, नगर निगम, एलडीए के अलावा पुलिस प्रशासन भी मुस्तैदी रखेगा। महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिस भी अधिक संख्या में तैनात रहेगी। उसके अलावा फायर पुलिस दमकल के साथए जल पुलिस व एसडीआरएफ के कर्मी स्टीमर, रस्से, बड़ी टॉर्च आदि के जीवन रक्षक उपकरणों के साथ लैस होंगे। इसके अलावा घाट तीसरी आंख की नजर में रहेगा। इसके लिए एक दर्जन जगह से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। पार्किंग की व्यवस्था व यातायात के सुचारू संचालन के लिए ट्रैफिक पुलिस भी प्लॉन तैयार कर चुकी है। लोगों के लिए हेल्थ एटीएम, चिकित्सा शिविर आदि व्यवस्था भी की जा रही है।
चार दिन तक ये खाते हैं व्रती:
यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह शुरु होता है। पहले दिन सेंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरंभ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब 7 बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं। अंत में लोगों को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
क्या है पूजन विधि:
छठ पूजा के लिए नदी या तालाब किनारे मिट्टी से सुशोभिता बनाई जाती है। फलों को सुपली या डलिया में 6, 12 या 24 की संख्या में रखें। इसमें आप संतरा, अन्नास, गन्ना, सुथनी, केला, अमरूद, शरीफा, नारियल, साठी के चावल का चिउड़ा, ठेकुआ शामिल कर सकती हैं। मंगलवार को दूध, शहद, तिल और अन्य द्रव्य से डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद सुशोभिता की पूजा करें। मिट्टी की बनी कोसी में पूजा सामग्री रखकर उसपर चननी ताने। बुधवार की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन करें और प्रसाद सभी को बांटे।
अर्घ्य देने का तरीका:
अस्ताचलगामी सूर्य को तीन बार अर्घ्य दिया जाता है। रात्रि जागरण के पश्चात उगते हुए सूर्य को इसी तरह अर्घ्य प्रदान किया जाता है। पति-पुत्र या ब्राह्मण अर्घ्य दिला सकते हैं। इनके न रहने पर व्रती महिलाएं खुद भी यह काम कर सकती हैं। इसके बाद वे गीले आंचल से ही अपने बच्चों के शरीर को पोंछती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके बच्चों को चर्म से संबंधित रोग नहीं होता।
शहर में चार दिनों तक रहेगा हर्षोल्लास का माहौल
लखनऊ। लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ की शुरूआत 25 अक्टूबर को नहाय-खाय से हो रही है। 26 को खरना, 27 को निर्जल उपवास के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और 28 को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व का समापन होगा। सूर्य षष्ठी व्रत वर्ष में दो बार कार्तिक और चैत्र महीने में होता है। इनमें कार्तिक का छठ पर्व बहुत खास है। छठ पूजा पर्व में व्रत, उपवास, उपासना पूजा, अर्घ्य, उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। दीपावली पर हुई साफ.सफाई के बाद इस पर्व में भी घर और रसोई आदि सफाई की जाती है। पर्व के दौरान निर्मित भोजन व प्रसाद में लहसुन, प्याज आदि वर्जित होते हैं। लोक परंपरा के अनुसार छठ व्रत रोगों से मुक्ति, संतान के सुख और समृद्धि में वृद्धि के लिए रखा जाता है। पर्व के चारों दिनों में हर्षोल्लास का माहौल रहता है। सूर्यास्त एवं सूर्योदय पर अर्घ्य के दौरान नदी एवं तालाब के किनारे मेले जैसा माहौल रहता है। व्रती महिला के साथ घर के सभी सदस्य भी पूजा स्थल पर पहुंचते हैं और व्रती महिला से आशीर्वाद लेते हैं। नदी और तालाबों के किनारे दीपों की शृंखला देखते ही बनती है। चारों ओर सूर्य षष्ठी या मां छठ के गीतों से वातावरण गुंजायमान रहता है। इस पूजा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी, पवित्रता, भक्ति एवं अध्यात्म है। इस दिन महिलाएं समीप के नदी या तालाब पर जाकर स्नान करती है और उसके बाद घर पर आकर कद्दू और चावल पकाती हैं। इसे कद्दू भात कहते हैं। छठ पर्व का दूसर दिन खरना है। इस दिन व्रती महिलाएं उपवास करेंगी। शाम को पूजा करने के बाद व्रत का पारण करेंगी। तीसरे दिन महिलाएं निर्जल उपवास रखती हैं। महिलाएं सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य प्रदान करती है। पर्व के चौथे दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर पारण किया जाता है और माता षष्ठी देवी को विदा किया जाता है।
छठ पूजा : पूजा सामग्री से सजने लगे लखनऊ के बाजार

लखनऊ। लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर शहर के बाजार सजकर तैयार हो चुका है। इंदिरानगर, निशातगंज, पत्रकारपुरम बाजार में महिलाएं दउरा, मिट्टी के बर्तन कलश, घैला, दीया, ढकना, सुपा, सुपली, नारियल सहित अन्य सामान की खरीदारी शुरू कर दी।
राजधानी लखनऊ में सड़क किनारे छठ से संबंधित दुकानें सजने लगी। बांस से बने सूप 60-70 रुपये प्रति पीस बिक रहा है। चूल्हे की कीमत 100-150 रुपये के बीच है। दुकानदार ने बताया कि सूप और दउरा की कीमतों में इस साल पिछले साल की तुलना में इजाफा हुआ है। सूप जहां 45 से 60 रुपए प्रतिपीस बिक रहा है। वहीं दउरा की कीमत उसके आकार और बनावट के आधार पर तय है। दउरा 150 से लेकर 200 पीस तक बाजार में उपलब्ध है। छठ पूजा में मिट्टी के हाथी का विशेष महत्व है। ऐसे में बाजार में सुंदर-सुंदर मिट्टी के हाथी की बिक्री खूब हो रही है। इसके अलावा मिट्टी के चूल्हे की कीमतों में भी वृद्धि देखी जा रही है। वहीं मंडियों में कच्ची हल्दी, कच्चा अदरक, कच्चा नारियल, कच्चा केला, आंवला, सीताफल, मूली हर चीज से बाजार गुलजार है। यहां आपको बताते चले कि इस बार छठ पूजा 27 और 28 अक्टूबर को है। जिसको लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।





