रेप के लिए मृत्युदंड से सख्त सजा कुछ नहीं: स्मृति ईरानी

नई दिल्ली। हैदराबाद और उन्नाव रेप मामले के बाद पूरे देश में आक्रोश है। सामूहिक बलात्कार के बाद युवतियों को जिंदा जलाने की मानो प्रथा सी शुरू हो गई है। नेता मंत्री अपना-अपना बयान देने से नहीं चूक रहे इसी बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने शनिवार को कहा कि आधी आबादी की सुरक्षा के लिये सरकार ने दुष्कृत्य के मामलों में मृत्युदंड तक का कानूनी प्रावधान किया है और इससे सख्त सजा कुछ नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि समाज को भी ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child pornography)’ जैसी चुनौतियों से निपटने पर विचार करना होगा और पालकों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए बच्चों को सिखाना होगा कि महिलाओं से सही बर्ताव किया जाये।

दरअसल, ईरानी ने यहां रोटरी इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान दोतरफा संवाद के सत्र में कहा, “चर्चा यह भी हो रही है कि बलात्कार के मुजरिमों के लिये और सख्त सजा का प्रावधान किया जाना चाहिये। ऐसे मामलों में सरकार की ओर से सजा-ए-मौत तक का कानूनी प्रावधान किया गया है। अब सजा-ए-मौत से ज्यादा सख्त सजा और कुछ नहीं हो सकती।” उन्होंने बताया कि सरकार ने बलात्कार के मुकदमों की तेज सुनवाई के लिये देशभर में 1,023 ‘फास्टट्रैक कोर्ट’ स्थापित करने के लिये वित्तीय मदद देनी शुरू कर दी है।

वहीँ, बलात्कार के मामलों में अदालतों से सजा पाने वाले सात लाख से ज्यादा यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस भी बनाया गया है, ताकि इन लोगों पर नजर रखी जा सके। ईरानी ने अपील की कि बलात्कार पीड़िताओं की कानूनी मदद के लिये समाज को भी जिला स्तर पर आगे आना होगा, ताकि उन्हें इंसाफ मिल सके।

उनका कहना ये भी था कि “हम एक नागरिक के तौर पर इंसाफ के लिये (सरकारी) संस्थाओं की ओर देखते हैं। बलात्कार की घटनाओं के लिये संस्थाओं, मीडिया, फिल्मों और साहित्य को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन हमें खासकर पालकों के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए ख्याल रखना चाहिये कि हम अपने बच्चों के सामने महिलाओं की कैसी छवि पेश कर रहे हैं।”

‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ पर जोर डालते हुए उन्होंने कहा कि “बलात्कार की घटनाओं और महिलाओं के खिलाफ अन्य अत्याचारों के विषय को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इस विषय में हमें ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ जैसी सामाजिक चुनौतियों का भी ध्यान रखना होगा।” बलात्कार से महिलाओं को बचाने के लिये वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दिये जाने के विचार को सिरे से खारिज करते हुए ईरानी ने कहा, “वह समाज कैसा होगा जो महिला को एक वस्तु बनाकर अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करने की बात करता हो। जो लोग महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता देने की बात करते हैं, उनका रवैया सरासर अमानवीय है।”

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