पीजीआई में स्कल बेस सर्जरी पर तीन दिवसीय सम्मेलन आज से
वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। कैंसर युक्त ट्यूमर का आपरेशन कराने के बाद उसके दोबारा होने की सम्भावना अधिक होती है। ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को यह खतरा करीब 60 फीसदी होता है। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने दी।
वह 27 अक्तूबर से यहां स्कल बेस सर्जरी सोसाइटी आफ इंडिया का वार्षिक सम्मेलन से पूर्व कार्यक्रम की जानकारी दे रहे थे। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को दो ब्रेन ट्यूमर के आपरेशन का लाइव प्रसारण किया जाएगा। इसके बाद विशेषज्ञ न्यूरो सर्जन को केजीएमयू में कैडेवर पर ब्रेन ट्यूमर के आपरेशन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शनिवार और रविवार को सम्मेलन में देश और विदेश के करीब 400 न्यूरो सर्जन ब्रेन ट्यूमर के इलाज की आधुनिक तकनीक पर अनुभव साझा करेंगे।
इस दौरान पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. राज कुमार ने बताया कि दिमाग के करीब 25 फीसदी ट्यूमर स्कल बेस दिमाग के (निचले हिस्से) में होते हैं। यह आपरेशन बहुत जटिल होते हैं। इसके देश में सिर्फ 60 डॉक्टर हैं। सम्मेलन में देश के न्यूरो सर्जन को स्कल बेस सर्जरी सिखाने के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी दी जाएगी।
डॉ. राजकुमार ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर दिमाग के किसी भी हिस्से में हो सकता है। स्कल बेस सर्जरी के लिए विशेषज्ञों की टीम की जरूरत होती है। इसमें न्यूरो सर्जन के साथ न्यूरो आटोलॉजिस्ट, एनेस्थीसिया, प्लास्टिक सर्जन, रेडियोलाजिस्ट एवं रिहैबिलिटेशन विशेषज्ञों की जरूरत होती है। सम्मेलन में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति राजीव सिंह, पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन समेत न्यूरो सर्जन हिस्सा लेंगे।