वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। कैंसर मरीजों को मंहगे इलाज से राहत मिलेगी। उन्हें सस्ती दर पर कीमोथेरेपी सुविधा मिल सके, इसके लिए पीपीपी मॉडल पर कीमोथेरेपी क्लीनिक खोली जायेंगी। मालूम हो कि कैंसर का इलाज अधिक महंगा होने के कारण इस रोग को आयुष्मान योजना में शामिल कर लिया गया है। चूंकि कैंसर ग्रस्त मरीज को सर्जरी के बाद भी कई बार कीमोथेरेपी करानी पड़ती है। सरकारी अस्पतालों में इसकी व्यवस्था न होने के कारण मरीजों को मजबूरीवश निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ता है।
इसका मकसद क्या है ?
कई गरीब मरीज केजीएमयू, लोहिया संस्थान व पीजीआई जैसे बड़े संस्थानों में कीमोथेरेपी के लिए चक्कर लगाते रहते हैं। वेटिंग अधिक होने के कारण उनकी बीमारी बढ़ती रहती है और समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। इन्हीं तमाम दिक्कतों को देखते हुए प्रदेश के जिला अस्पतालों में अब सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) माडल पर एकीकृत कीमोथेरेपी क्लीनिक खोलने की भी तैयारी की जा रही है।
इसका मकसद है कि इस गम्म्भीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को समय पर घर के नजदीक इलाज मिल सके।
वहीं आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कैंसर का इलाज कराने वाले रोगियों को अब सरकारी जिला अस्पतालों में भी कैंसर के इलाज की सुविधा उपलब्ध कराये जाने की कोशिशें की जा रही हैं। ताकि कैंसर रोगियों को इसके लिए बड़े शहरों की ओर न भागना पड़े।
बलरामपुर अस्पताल में कैंसर के उपचार की सुविधा
हाल ही में राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में कैंसर के उपचार की सुविधा शुरू की गयी है। यहां कैंसर मरीजों के लिए विशेष ओपीडी सेवाएं शुरू की गयी हैं। इसके किल यहां छह डॉक्टरों की टीम तैयार की गई है। बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी में आने वाले कैंसर की आशंका के मरीजों को अभी तक केजीएमयू, लोहिया और पीजीआई रेफर किया जा रहा था।
प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि जिन जिला अस्पतालों में जहां कैंसर उपचार के लिए संसाधन मौजूद हैं, वह इसका इलाज शुरू करने के लिए कैंसर विशेषज्ञों की तैनाती की जायेगी। इसके अलावा इस बीमारी की जल्द पहचान व इलाज शुरू हो सके, इसके लिए आंगनबाड़ी व आशा कार्यकतार्ओं को ट्रेनिंग दी जायेगी ताकि व अधिक से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग कर सकें।