कृषि की असल समस्या नहीं समझ पाया बजट

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश आम बजट में तीन दशक पूर्व लायी गई नयी आर्थिक नीति के सुधारों के अक्श की फिर से शुरू आत हुई है। क्योंकि इस बजट में एक तरफ कई नये आर्थिक कानून बनाने और कई मौजूदा कानूनों में संशोधन लाने, नये नियमन प्राधिकरणों की स्थापना करने तो कई क्षेत्रों में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की नयी प्रणाली शुरू करने की बात है।

दूसरी तरफ इस बार सार्वजनिक उपक्र मों के विनिवेश के जरिये काफी बड़ी राशि उगाही का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। कोविड-19 महामारी से चारों खाने चित्त हुई भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार और किसानों के पिछले दो महीने से चल रहे अनवरत आंदोलन के साये में पेश इस बजट में वित्तमंत्री की तरफ से जो कई तरह की जोर आजमाइशें की गई हैं, उसमें दो बातें प्रमुखता से उभरी हैं।

सबसे पहले तो अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने के लिए आमदनी से खर्च ज्यादा करने की नीति वित्तमंत्री ने जाहिर तौर पर अपनायी है। इसके तहत यह बात अब तय हो गयी है कि अरसे बाद देश में वित्तीय घाटा बढ़ने जा रहा है जो अगले 2025 तक पांच फीसदी से नीचे नहीं होने जा रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में ही कम राजस्व और ज्यादा खर्चे की वजह से वित्तीय घाटा लक्ष्य से करीब छह फीसदी की उछाल लेकर साढ़े नौ फीसदी होने जा रहा है।

जबकि नये वित्त वर्ष 2021-22 में यह घाटा 6.8 फीसदी अनुमानित है जिसे 4.5 फीसदी तक लाने में वर्ष 2024-25 तक का इंतजार करना पड़ेगा। कोविड-19 से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को त्वरित गति से उबारने के लिए हाउसिंग और स्टार्टअप बिजनेस में दी जाने वाली कर रियायतें और छूट अगले वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ा दी गयी हैं। रेलवे, सड़क मार्ग, मेट्रो रेलवे इन तीनों क्षेत्र में आगामी वित्त वर्ष में करीब एक एक लाख करोड़ रु पये से ऊपर निवेश करने का मंसूबा जताया गया है।

देश के सत्ताइस शहरों में करीब एक हजार किमी मेट्रो लाइन बनाने व चलाने, देश की सभी बड़ी रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण तथा राजमार्गों तथा ग्रामीण सड़कों के निर्माण लक्ष्य में काफी इजाफा किया गया है। कुल मिलाकर केन्द्र सरकार ने अपने पूंजीगत व्यय यानी विकास व्यय में करीब पच्चीस फीसदी बढ़ोत्तरी कर नये वित्त वर्ष में 5.5 लाख करोड़ रु पये करने का फैसला किया है।

विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49 फीसदी से बढाकर 74 फीसदी कर दिया गया है यानी वह बीमा निवेश जो विगत में काफी राजनीतिक विरोध का सामना कर चुका था, उसे मोदी सरकार बीमा कानून 1938 में तब्दीली लाकर बढ़ाने की तैयारी में है। इसी तरह अपने संकुचित पड़े राजस्व में इजाफा करने के लिए शेयर बाजार में चल रही मौजूदा बढ़त को ध्यान में रखकर एयर इंडिया, बीपीसीएल, आईडीबीआई, एससीआई सहित करीब आधे दर्जन पीएसयू का विनिवेश 31 मार्च 2022 तक पूरा कर करीब 1.75 लाख करोड़ रु पये की उगाही का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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