DefExpo 2020 : दुनिया को धाक दिखायेंगे ब्रह्मोस और अर्जुन

लखनऊ। ए सेट तकनीक से लैस उपग्रह रोधी मिसाइल (इंटरसेप्टर) के सफल प्रक्षेपण के जरिये दुनिया में धाक जमाने वाला भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन पांच दिसम्बर से यहां शुरू होने वाले डिफेंस एक्सपो-2020 में विश्व की दिग्गज रक्षा उपकरण कंपनियों के सामने अपने बेहतरीन रक्षा उत्पादों का प्रदर्शन करेगा।पांच दिनो तक चलने वाली एक्सपो का शुभारम्भ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच फरवरी को करेंगे।

डीआरडीओ के पवेलियन में देश की पहली उपग्रह रोधी मिसाइल ‘मिशन शक्ति’ रक्षा विशेषज्ञों के साथ दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहेगी जबकि ब्रह्मोस मिसाइल, अर्जुन टैंक, एटीएजीएस, अश्वनी राडार, प्रहार मिसाइल समेत अनेक अत्याधुनिक हथियार देश की अचूक मारक क्षमता का प्रदर्शन करेंगे।

मिशन शक्ति के तहत 27 मार्च 2019 को मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर ने एक सफल परीक्षण में पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किलोमीटर की ऊँचाई पर एक परीक्षण उपग्रह को मार गिराया था। इंटरसेप्टर को ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से प्रक्षेपित किया गया था जिसने 168 सेकंड के बाद अपने लक्ष्य माइक्रोसेट आर को हिट किया था।

इसके साथ ही भारत उपग्रह रोधी मिसाइल क्षमताओं वाला चौथा राष्ट्र बन गया था। यहां दिलचस्प है कि डिफेंस एक्सपो में अमेरिका और रूस सहित कई देश अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। ऐसे में कई देशों की निगाह भारतीय इंटरसेप्टर पर होगी जिसका सीधा असर निर्यात पर पड़ेगा। स्वदेशी तकनीक से लैस राडार अश्वनी भी विदेशी और देशी मेहमानों के लिये कौतूहल का केन्द्र रहेगा। डीआरडीओ निर्मित राडार ने भारतीय सेना एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता में बढ़ोतरी की है।

किसी भी समय और मौसम में 200 किमी की परिधि में आसमान में नीचे उड़ रहे टारगेट की सटीक सूचना देने में सक्षम अश्वनी युद्धकाल में एक्सप्रेस वे पर विमानों की लैंडिंग में भी महती भूमिका निभा सकता है। ठोस इंधन की, सतह से सतह तक मार करने में सक्षम कम दूरी की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रहार’ भी डीआडीओ की क्षमता का प्रदर्शन करेगी। स्वदेशी तकनीक से तैयार 1280 किलो वजनी और 7.3 मीटर लंबी मिसाइल 200 किलो परमाणु हथियार ढोने में सक्षम है और 2़ 03 किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से 150 किमी तक आकाश में 35 किमी की ऊंचाई तक मार कर सकती है।

इसके अलावा सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के जरिये भारत अपनी प्रहार क्षमता का प्रदर्शन करेगा। रूस के सहयोग से निर्मित मिसाइल पनडुब्बीएपानी के जहाज, विमान या जमीन से भी प्रहार करने में सक्षम है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा डीआरडीओ ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। ब्रह्मोस भारतीय सेना एवं नौसेना की शान बनी है। इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है।

डीआरडीओ और एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का सयुंक्त उपक्रम ब्रह्मोस कार्पोरेशन इस मिसाइल का निर्माण कर रहा है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है। ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक से लगभग दुगनी अधिक तेजी से वार कर सकती है। यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है।

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