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प्रदेश की भाजपा सरकार को नहीं पता यूपी में हैं कितने भूमिहीन मजदूर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने शुक्रवार को भूमिहीन मजदूरों के मुद्दे पर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। विधानसभा के दूसरे सत्र में लल्लू ने भूमिहीन मजदूरों की जिलावार संख्या और उनको समाजिक सुरक्षा देने के मुद्दे पर, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या से सवाल पूछा था। लेकिन योगी सरकार की ओर से जो जवाब मिला, उस पर अजय लल्लू ने हैरानी जताई है।
लल्लू ने बताया कि जिलावार संख्या वाले प्रश्न के जवाब में योगी सरकार ने कहा कि चूंकि विशिष्ट भूमि सर्वेक्षण नहीं हुआ है इसलिए मजदूरों की निश्चित संख्या नहीं बतायी जा सकती। फिर, पुराने आंकड़ों का हवाला देते हुए बीजेपी सरकार ने कहा कि भूमिहीन मजदूरों की आबादी प्रतिशत के लिहाज से 44.45 फीसदी है। इसका मतलब यह है कि यूपी की कुल आबादी लगभग आधा हिस्सा बिना जमीन के है।
प्रदेश अध्यक्ष और तमकुही से विधायक लल्लू द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में प्रदेश सरकार ने लिखित में कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने जून 2020 तक मॉड्यूल उपलब्ध ही नहीं कराया, तो पंजीयन का काम कैसे हो। भाजपा सरकारों के काम करने के रवैये पर तीखी नराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि चाहे योगी हों या मोदी भाजपा की सरकारें मजदूर विरोधी है।
उन्होंने ने कहा कि राहुल गांधी ऐसे ही मोदी सरकार को सूट-बूट और लूट की सरकार नहीं कहते हैं। उन्होंने मांग की है कि भूमिहीन मजदूरों का असंगठित कर्मचारियों के रूप में पंजीयन जल्द से जल्द शुरु कराया जाये ताकि प्रदेश की आधी आबादी को समाजिक सुरक्षा प्रदान की जा सके।
लल्लू ने कहा कि यह मुद्दा भाजपा सरकार के लिए शर्म का विषय तो है ही, बीजेपी की पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों ने क्या किया था? इसका भी जवाब चाहिए। गौरतलब है कि भूमिहीन मजदूरों का ज्यादातर हिस्सा छोटी और पिछड़ी जातियों से मिलकर बनता है। मतलब साफ है कि न बसपा, न सपा, न बीजेपी किसी को मजदूरों की परवाह नहीं है। सब अपनी-अपनी तिजोरी भरने में लगे हैं।
लल्लू ने कहा कि वह खुद एक मजदूर रह चुके हैं इसलिए मजदूरों की व्यथा को अच्छे से समझते हैं। उन्होंने बीजेपी की केन्द्र और राज्य सरकारों पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में मोदी सरकार को निर्देश दिया था कि मॉड्यूल तैयार करके राज्य सरकारों को दिया जाये जिससे मजदूरों का असंगठित कर्मचारियों के रूप में पंजीयन किया जा सके।