लखनऊ। बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान ने बृहस्पतिवार से कोविड19 संक्रमण की सैम्पल टेस्टिंग शुरू कर दी और यह संस्थान एक दिन में 200 सैम्पल जांचकर रिपोर्ट देगा। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं एंसिएंट एंड माडर्न डीएनए सीक्वेंसिंग लैबोरेटरी प्रभारी डा. नीरज राय ने कहा, बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान राजधानी लखनऊ में केन्द्र सरकार का ऐसा पहला संस्थान है जो कोरोना वायरस की टेस्टिंग शुरू कर रहा है।
राय ने कहा, हम तो पहले से ही तीन हफ्ते से तैयार हैं। अभी केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) और सीमैप की शायद लैब तैयार नहीं है। हमारे यहां चार लोग गेस्ट हाउस में पहले से ही रह रहे हैं। हम लोग अपने आपको पृथक किए हुए थे कि जैसे ही सैम्पल आएंगे, हम टेस्टिंग शुरू कर देंगे। एक सवाल पर राय ने कहा, हमारी छह लोगों की टीम है।
सैम्पल साइज क्या होगा यानी एक दिन में कितने सैम्पल टेस्ट करेंगे, यह पूछने पर राय ने बताया कि हमने (उत्तर प्रदेश सरकार से) बोला है कि हमारी क्षमता एक दिन में 200 सैम्पल टेस्टिंग की है। अगर हम सैम्पल पूल कर दें… पूलिंग वाला एक नया तरीका आया है कि आप बहुत से सैम्पल पूल कर सकते हैं… तो सैम्पल की संख्या बढ सकती है लेकिन शुरू में हम रोजाना 200 सैम्पल की टेस्टिंग करेंगे।
इस सवाल पर कि क्या यह बीरबल साहनी संस्थान की पहल थी तो राय ने कहा, ये हमारी ओर से की गई पहल थी। हम मार्च के अंतिम हफ्ते में ही तैयार हो गए थे। छह अप्रैल को तैयारियां पूरी हो गई थीं। ये तय था कि सात अप्रैल से सैम्पल आना शुरू हो गए तो हम टेस्टिंग शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि लखनउ में जितने संस्थान थे, सैम्पल टेस्टिंग के लिहाज से सबको बहुत पहले ही विकसित कर देना चाहिए था। इस सवाल पर कि टेस्ट रिपोर्ट कब तक देंगे, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, अगर सुबह दस बजे तक सैम्पल आ गया तो हम लोग 12 घंटे बाद रात 10 बजे तक रिपोर्ट आनलाइन डाल देंगे।
राय ने कहा, सैम्पल अगर किसी रिसर्च संस्थान को मिलता है तो उसके दोतीन फायदे होते हैं। किंग जार्ज मेडिकल यूनीवर्सिटी (केजीएमयू) तो केवल जांच ही कर रही है। अगर हमारे पास सैम्पल आएंगे तो हम अलग अलग तौर तरीके विकसित करेंगे। कितने सैम्पल पूल कर सकते हैं? एक सैम्पल का कंसन्ट्रेशन कितना होना चाहिए? फाल्स पाजिटिव वैल्यू आ रही है तो क्यों आ रही है? इस पर हम यहां तत्काल रिसर्च कर लेंगे। हमारे पास वो सुविधा है क्योंकि हमारा रिसर्च संस्थान है। सीडीआरआई में भी यही सब काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बीरबल साहनी पुराविज्ञान जैसे अनुसंधान संस्थान में सैम्पल टेस्टिंग का सबसे बडा फायदा ये भी है कि हम यह पता कर सकते हैं कि कोरोना वायरस कैसे कैसे विकसित हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बुधवार को प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान द्वारा 30 अप्रैल से तथा सेण्ट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) द्वारा सप्ताह के अंत तक टेस्टिंग प्रारम्भ किए जाने पर सहमति व्यक्त की गई थी।