जौं न होत जग जनम भरत को…
लखनऊ। त्रिवेणी नगर में हो रही श्रीराम कथा के 6वें दिन श्रीराम वनगमन और भरत चरित्र का गुणगान करते हुए कथा व्यास भाईश्री दिलीप शुक्ल ने कहा कि श्रीराम की वन यात्रा- युवराज राम से भगवान श्रीराम बनने की तप यात्रा है। साथ ही भरत चरित्र का गान करते कहा कि श्री भरतजी धर्म एवं त्याग एवं भ्रात प्रेम की प्रतिमूर्ति है। जहां आज समाज में एक इंच भूमि पर हत्या और न्यायालय तक विवाद हो रहें हैं। वहां श्री राम और श्री भरत जी का त्याग बन्धुत्व प्रेम की अनुपम उदाहरण है। इस अवसर पर मनीष प्रताप सिंह, कुलपति-योगकुलम्, डॉ. रामकृष्ण पाण्डेय, अखिलेश नित्य, लवकुश त्रिवेदी (नि.मण्डल अध्यक्ष भाजपा), पंकज शुक्ल, जेबी सिंह, राजकुमार अवस्थी, विनोद शुक्ल, डॉ वीके खन्ना व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।