वरिष्ठ संवाददाता
लखनऊ। मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े पर्व बकरीद की घड़ी नजदीक आते ही राजधानी के बाजारों में रौनक आ गई है। लखनऊ के सबसे बड़े बाजार अमीनाबाद में छोटी से लेकर बड़ी चीजों की खरीदारी करने वालों की तादाद बढ़ गई है। भीड़ बढ़ने से अमीनाबाद से नजीराबाद तक दुकानदारों में भी उत्साह का माहौल है। हालांकि कोरोना महामारी के कारण शासन द्वारा जारी गाइडलाइन की खूब अनदेखी हो रही है। लोग खरीदारी करने के चक्कर में सोशल डिस्टेंसिंग को भूल चुके हैं। अमीनाबाद में सुबह दस बजे से ही खरीदारी करने वाले लोगों की भीड़ हो रही है। बताया जाता है कि सुबह से देर शाम तक बाजार में हजारों लोग रोजाना खरीदारी कर रहें है। इस गिनती में दिनों-दिन इजाफा ही हो रहा है। बाजार के दुकानदारों के हिसाब से कारोबार में दोगुना इजाफा हुआ है।
घरेलु सामानों की हुई खरीदारी
कोई रेडीमेड कपड़े खरीद रहा है तो कोई खजूर। कोई सिवंई ले रहा है तो कोई घर की सज्जा के लिए चादर या पर्दे। हर ओर बकरीद की तैयारियां देखने को मिल रही हैं। कुछ ऐसा माहौल देखने को मिला नक्खास बाजार में। बकरीद पर शहर के बाजारों में खास रौनक देखने को मिली। बकरीद के अवसर पर सिवई, खजूर, कपड़े, चप्पल-जूते व बकरा मंडी में खरीदारों की भीड़ लगी रही।
सिवई और खोये की दुकानों पर भीड़
बाजारों में सिवई और खोये की दुकानों पर खरीदारों की काफी भीड़ चल रही है। दुकानों पर नमाज के लिए सुन्दर टोपियों की कई किस्में देखी जा सकती है। इन्हीं दुकानदारों के साथ-साथ बकरीद पर सिंवई खाने के लिए क्रॉकरी और चम्मचों की बिक्री भी जोरों पर हो रही है। देर रात में बकरीद के सामानों की बिक्री करने वाले अकबरी गेट के बाद अमीनाबाद के बाजारों में पर्दानशीन औरतों को खरीदारी करते हुए देखा जा सकता है। बकरीद के त्योहार में बड़ों के साथ-साथ बच्चों में अधिक खुशी होती है जहां बड़े सोचते है कि बकरा अच्छे से अच्छा खरीदा जाये वहीं बच्चों की यह सोच होती है की जल्द से जल्द बकरा आ जाये ताकि हम उसे हार-फूल पहना कर मोहल्ले में दोस्तों के साथ घूमाये फिरायें।
आनलाइन बकरे की बिक्री शुरू
बकरीद की तैयारियों को लेकर नक्खास और अकबरी गेट सहित पुराने लखनऊ में कई जगह आॅनलाइन बकरे की खरीदारी की जा रही है। बकरीद में कुबार्नी के लिए बकरा बाजार में 1:80 लाख कीमत के अलवरी नस्ल का लड्डू कद्रदानों का इंतजार कर रहा है। सऊदी अरब की नस्ल के दुम्बे ने 71 हजार रुपए में बकरा मंडी से रुखसती ले ली है। वहीं दुबग्गा बकरा बाजार में बाहुबली ने अपनी आमद दर्ज कराई। गुलाबी अलवरी नस्ल के इस खूबसूरत बकरे की मांग 1:50 लाख रुपए तय की गई है। एक लाख रुपए का तोता परी नस्ल का राजू भी मंडी में अपनी शान बनाए है। कुबार्नी के लिए तमाम नस्ल और कीमत के बकरों से सजे बाजार में आलमबाग के मोहम्मद असलम ऊंची कद काठी के बाहुबली और राजू को लेकर आये हैं। इनके पास 1:50 लाख रुपए की खूबसूरत अजमेरी जोड़ी भी है जिसके 90 हजार रुपए लग चुके हैं।
ऐसे दी जाती है कुबार्नी
काजी-ए-शहर मौलाना अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने बताया कि बकरीद के दिन कुबार्नी होती है। इस दिन इस्लाम को मानने वाले अपने प्यारे जानवर की कुबार्नी करते हैं और कुबार्नी के गोश्त को रिश्तेदारों और जरूरतमंदों में बांटते हैं। बीमार या कमजोर जानवर की कुबार्नी नहीं करते हैं। बकरीद पर उस जानवर की कुबार्नी देनी चाहिएए जिसे आपने अपने बच्चे की तरह पाला हो। इदारा-ए-शरइया फरंगी महली के महासचिव मौलाना अफ्फान अतीक फरंगी महली ने बताया कि बकरीद पर कुर्बान किए गए जानवर के गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। एक हिस्सा अपने के परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और तीसरा हिस्सा गरीब और जरूरतमंद लोगों को दिया जाता है। बकरीद के दिन जमात और नमाज के बाद सारी दुनिया की सलामती की दुआ की जाती है। संक्रमण के चलते जमात में नमाज पढ़ने से बचना चाहिए।