दुनिया भर के पूंजी बाजारों में हाहाकार है। कभी सालों में एक दिन ऐसा आता था जब ब्लैक फ्राइडे या ब्लैक मंडे कहा जाता था क्योंकि उस दिन निवेशकों को भारी नुकसान होता था। लेकिन यह स्थिति बदल गयी है। अब मंडे से फ्राइडे तक हर दिन शेयर बाजार में ब्लैक साबित हो रहे हैं। बीते 15-20 कारोबारी सत्रों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब दस हजार अंक नीचे लुढ़क चुका है और बाजार की एक चौथाई पूंजी स्वाहा हो गयी है।
हालात इतने भयावह हैं कि एक-एक कंपनी की एक लाख करोड़ से अधिक की पूंजी घट गयी है। गुरुवार को तो पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गये जब एक ही दिन में बॉम्बे शेयर बाजार 2919 अंक गिर गया। बीएसई के साथ निफ्टी में भी 825 अंकों की गिरावट दर्ज की गयी। एक ही दिन में सेंसेक्स की 11 लाख करोड़ से अधिक पूंजी स्वाहा हो गयी। शेयर बाजारों में गिरावट का असर इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंडों पर भी पड़ा है।
बजट के बाद से अब तक प्राय: सभी प्रमुख इक्विटी फंडों की एनएवी में 20 से 25 फीसद की गिरावट आ चुकी है। इस गिरावट के कारण शेयर बाजार 2008 से भी ज्यादा बुरे दौर की तरफ बढ़ रहे हैं। यह संकट भारत के बाजारों के साथ पूरी दुनिया के बाजारों में है और इक्विटी आधारित निवेश में कोहराम मचा हुआ है। नस्दक, एसएण्डपी-500, डाउजोंस, निक्केई, संघाई कंपोजिट, कैक, डैक, फुटसी, सबके सब बेहाल हैं।
प्राय: सभी प्रमुख शेयर बाजारों ने बीते दो सप्ताहों के दौरान एक दिन में सबसे अधिक गिरने का रिकॉर्ड बना डाला है। भारत में निफ्टी और बीएसई दोनों ने एक दिन में सबसे अधिक गिरावट का रिकार्ड अभी तीन दिन पहले ही बनाया था जिसे गुरुवार को तोड़ते हुए एक दिन में 2919 अंक गिरने का नया रिकार्ड बना दिया। एक दिन में सेंसेक्स का पूंजीकरण करीब 11.40 लाख करोड़ घट गया। बाजार में चौतरफा बिकवाली का दबाव रहा और ऐसा लगा रहा था जैसे खरीदार पूरी तरह से गायब हो गये हैं।
मंदड़िये बाजार पर पूरी तरह हाबी रहे। कोरोना संकट शुरू होने के बाद अब तक करीब दस हजार अंकों की गिरावट आ चुकी है और करीब एक चौथाई पूंजी स्वाहा हो गयी है। वैसे बाजार में इस गिरावट के पीछे कोई आधारभूत कारण नहीं है लेकिन कोरोना वायरस के वैश्विक संकट बनने के बाद जिस तरह दहशत के माहौल में ट्रैवेल, होटल, टूरिज्म, आईटी, एक्सपोर्ट, एंटरटेनमेंट इण्डस्ट्री को भारी नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है उससे स्पष्ट है कि इस वर्ष ग्लोबल ग्रोथ में भारी गिरावट आने वाली है। वैसे भारतीय अर्थव्यवस्था में सब कुछ बेहतर अनुमान सामने आने के बाद भी पूंजी बाजार में कोहराम जैसी स्थिति है।
कोरोना के संकट ने डाउजोंस, नस्दक, एसएण्डपी -500 के साथ यूरोप और एशिया के बाजारों को भी हिला कर रख दिया है। निवेशकों की पूंजी स्वाहा हो रही है। जो कुछ बची है निवेशक उसे इक्विटी से निकालकर बॉड व गारंटीड रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट में लगा रहे हैं। हालांकि इक्विटी निवेशकों के लिए यह धैर्य का समय है। शेयर बाजार में संकट के समय जो धैर्य रखेगा आखिर में वही बाजीगर भी साबित होगा।