लखनऊ। सावन के तीसरे बुधवार को बुद्धेश्वर महादेव मंदिर आज भक्त जुटेंगे। मंदिर में सुबह पांच बजे से दर्शन किए जा सकेंगे। शिवभक्त मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। मंदिर कमिटी के सदस्य रामशंकर राजपूत ने बताया कि बुद्धेश्वर शृंगार समूह द्वारा बाबा का भव्य शृंगार किया जाएगा। बुद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रबंध समिति की संरक्षक और महंत ने बताया कि मंदिर के कपाट सुबह पांच बजे खुल जाएंगे और महाआरती भोर छह बजे होगी, दोपहर बारह बजे भोग लगेगा। इसके बाद भक्तों के लिए कपाट फिर से खोल दिए जाएंगे। वहीं, शाम को साढे छह बजे 51 मुखी महाआरती होगी। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम के काल में इस मंदिर की स्थापना की गई थी। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने की थी। आमतौर पर शिव मंदिरों में सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन बुधेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार को शिवजी की पूजा का विधान है। इस दिन इस मंदिर में शिवजी की पूजा के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। यहां भगवान शिव ने लक्ष्मण के सारे संदेह दूर करते हुए माता सीता के विराट स्वरूप के दर्शन करवाए।
बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में सोमवार नहीं बुधवार को होती है शिव पूजा:
देशभर के मंदिरों में भगवान महादेव की विशेष पूजा सोमवार को होती हैं। लेकिन लखनऊ का बुद्धेश्वर मंदिर एक मात्र ऐसा मंदिर हैं जहाँ पर भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना, अभिषेक तथा महाआरती बुधवार को होती हैं। इतना ही नहीं यहाँ पर श्रावण माह में भी बुधवार को ही भगवान शिव की पूजा होती हैं और श्रावण माह में आने वाले हर बुधवार को बुद्धेश्वर मंदिर में भव्य मेला लगता हैं। लखनऊ का बुद्धेश्वर महादेव मंदिर भारत का सम्भवत: पहला ऐसा शिव मंदिर होगा जहाँ भगवान शिव की विशेष पूजा बुधवार को की जाती हैं। बुधवार को पूजा करने को लेकर भी यहाँ इतिहास जुड़ा हुआ हैं। बताया जाता हैं कि त्रेतायुग में जब लक्ष्मण भगवान राम और सीता को जब चित्रकूट छोड़ने जा रहे थे तब यहाँ से गुजरते समय उन्होंने भगवान शिव का मंदिर देखा और पूजा करने का मन बनाया। भगवान राम ने शिवजी की विशेष पूजा की थी। उस दिन वार बुधवार था। तब से यहाँ पर बुधवार को शिव पूजा करने की परम्परा शुरू हुई।
भस्मासुर से बचने के लिए यहीं छुपे थे महादेव:
लखनऊ के ऐतिहासिक बुद्धेश्वर महादेव मंदिर को लेकर कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जाता हैं कि पहले यहाँ एक गुफा थी। जब भगवान शिव से वरदान पाकर भस्मासुर नामक राक्षस भगवान शिव का ही वध करना चाह रहा था तो भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए इसी गुफा में कई दिनों तक छिपे रहे थे। जिसके बाद से ही यहाँ भगवान शिव का वास माना जाता हैं। आज यहाँ भगवान शिव का विशाल मंदिर बना हुआ हैं।