कुशीनगर । इन-स्पेस मॉडल रॉकेटरी और कैनसैट प्रतियोगिता में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने छात्रों को अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बड़े सपने देखने और ऊंचे लक्ष्य रखने के लिए प्रेरित किया। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी आफ इंडिया (एएसआई) द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से संयुक्त रूप से आयोजित चार दिवसीय मॉडल रॉकेटरी और कैनसैट राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 67 छात्र टीमों ने भाग लिया।
इनमें मॉडल रॉकेटरी में 31 टीम और कैनसैट श्रेणी में 36 टीम थीं। प्रतियोगिता में 600 से अधिक छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। तुमकुहीराज में नारायणी नदी के तट पर हरे-भरे खेतों में स्थापित अस्थायी लॉन्चपैड से कुल 37 प्रक्षेपण सफलतापूर्वक किए गए। इनमें 13 मॉडल रॉकेटरी में और 24 कैनसैट में प्रक्षेपण किए गए। यह कैनसैट का दूसरा संस्करण है और प्रतियोगिता के पहले संस्करण में छात्रों द्वारा बनाए गए उपग्रहों को ड्रोन का इस्तेमाल करके ऊंचाई पर ले जाया गया था।
आर वी कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग-बेंगलुरु और एस वीकेएम तथा द्वारकादास जे सांगवी कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग-मुंबई ने क्रमश: मॉडल रॉकेटरी और कैनसैट प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार जीता। मॉडल रॉकेटरी में दूसरा और तीसरा पुरस्कार क्रमश: प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी-कानपुर और निरमा यूनिवर्सिटी-अहमदाबाद को मिला।
कैनसैट श्रेणी में दूसरा और तीसरा पुरस्कार क्रमश: दयानंद सागर कॉलेज आॅफ इंजीनियरिंग-बेंगलुरु और बिट्स पिलानी-हैदराबाद को मिला। हाल में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने शुक्ला ने प्रतिभागियों से कहा, जब मैं आपकी उम्र का था, तो मुझे नहीं पता था कि इन सबका क्या मतलब है।
इसलिए, यह बड़ा बदलाव है। आप अभी जो कर रहे हैं वह अद्भुत है। प्रतिस्पर्द्धा में हिस्सा लेने वालों को अपने संदेश में शुक्ला ने कहा, आप वो कर रहे हैं जो बहुत से बच्चों और अन्य लोगों का सपना होता है। यही वो चीज है जिसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
आपने जो हासिल किया है उस पर गर्व करें, क्योंकि इसे हासिल करना आसान नहीं है। शुक्ला ने प्रतिभागियों की जोरदार तालियों के बीच कहा, भले ही कोई (मॉडल) रॉकेट एक खास ऊंचाई तक न पहुंचे, लेकिन आपकी उम्मीदें और सपने तमाम रुकावटों को पार करके उससे भी ज्यादा ऊंचाई तक पहुंच गए हैं। आपको रॉकेट के ऊंचाई तक पहुंचने की चिंता करने की जÞरूरत नहीं है।
उन्होंने टीम वर्क और स्पेस मिशन के लिए लॉन्चिंग सिस्टम को मुमकिन बनाने वाली चीजों की अहमियत पर जोर देते हुए कहा, मुझे पक्का यकीन है कि कोई भी अकेले अंतरिक्ष में नहीं जाता। शुक्ला के अलावा, इन-स्पेस के अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका, देवरिया के सांसद शशांक मणि और आईएसटीआरएसी (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क) के निदेशक ए के अनिल कुमार भी अंतिम दिन के कार्यक्रम में शामिल हुए। गोयनका ने कहा, इन-स्पेस मॉडल रॉकेटरी और कैनसैट प्रतियोगिता प्रधानमंत्री के उस दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसका उद्देश्य भारत के भविष्य के अंतरिक्ष मिशन का निर्माण करने वाली प्रतिभाओं को प्रोत्साहित और तैयार करना है।



 
                                    

