आंखों में समंदर, पानी पे आग बोते हुए, मौन जब मुखरित हुआ व करुणा पाण्डेय की पुस्तकों का विमोचन
लखनऊ। युवाओं का उत्साह बलरामपुर गार्डन अशोक मार्ग पर चल रहे 22वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में सहभागिता के हर स्तर पर नजर आ रहा है। यहां उनके लिये किताबें ही नहीं प्रतिभा प्रदर्शन के भी अवसर खूब हैं।
हर किताब पर कम से कम 10 प्रतिशत छूट देने के संग ही मुफ्त प्रवेश देने वाले मेले के परिसर में युवक युवतियों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किये।
किताबों की बात करें तो अंजाम दिए जाने के बाद से लगातार चर्चा में बने रहे आपरेशन सिंदूर के अनेक पहलुओं की पड़ताल करती किताबें पुस्तक मेले में मेले में हैं। सामायिक प्रकाशन के स्टाल पर करुणा शंकर उपाध्याय ने अपनी किताब आपरेशन सिंदूर: अनजाने संदर्भ में इसकी विस्तृत समीक्षा करते हुए स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के प्रति दृढ़ संकल्प है। यहां मृदुला सिन्हा, चित्रा मुद्गल, नमिता सिंह, मीनाक्षी नटराजन आदि की साहित्यिक कृतियां खूब हैं और हर पुस्तक पर 20 प्रतिशत छूट है।
भागलपुर के दिनकर पुस्तकालय वाले राज वर्मा की स्वतंत्रता का काकोरी अध्याय, यशवंत व्यास की बेगम पुल से दरियागंज, जया किशोरी की जो है ठीक है… और विवेक-अमित की ज्योतिर्लिंग पसंद की जा रही है। अनबाउण्ड स्क्रिप्ट के स्टाल पर गालिब, दाग, इकबाल, जफर, मोमिन के साथ नीरज, मंजर भोपाली, राहत इंदौरी का भरपूर काव्य साहित्य है।
श्री रामस्वरूप विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने मेले में घूम घूम कर मेले की थीम विजन-2047 पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। विश्वम महोत्सव के अंतर्गत इन प्रस्तुतियों में शगुन, स्नेहा, चांदनी, वर्तिका, लक्ष्मी, नैना, कीर्ति, श्रद्धा, पायल, किशन, आकाश, काजल, रोली आदि बच्चों ने विशेष रूप से बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
यहीं आपको भुला दी गयी हिन्दी हाथ की लेखनी या कैलिग्राफी को कागज पर उतारकर पोस्टर, कार्ड और बुक मार्क्स तैयार करती शशि यादव मिल जायेंगी। पुस्तक प्रेमी उनसे मनचाहे संदेश लिखवा कर पोस्टर तैयार करवा सकते हैं।
कथा रंग की ओर से शाम को रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी पिंजर और आशुतोष शुक्ल की कहानी ठेस का सस्वर वाचन हुआ। टैगोर की ‘पिंजर’ एक कहानी है जो एक युवा छात्र को वैद्यक सिखाने के लिए मंगवाए गए हड्डियों के ढांचे या पिंजर और उस से जुड़े एक महिला आत्मा के माध्यम से मृत्यु, प्रेम, और पुनर्जन्म की कहानी को बयां करती है। स्त्री अस्मिता और स्वाभिमान को केन्द्र में रखकर रची नि:संतान दम्पति की कहानी ठेस में स्वर नूतन वशिष्ठ, पुनीता अवस्थी व अनमोल मिश्रा के तो पिंजर में अनुपमा शरद व सोम गांगुली के रहे। सुबह भारतीय लघुकथा सृजन संस्थान के पुस्तक चर्चा के बाद साहित्य वीथिका की काव्य गोष्ठी चली। दोपहर में डा.करुणा पाण्डेय की किताबों कथा संग्रह हाई टेक व जनजाति का गांव-लोकगीतों की छांव का विमोचन हुआ। समारोह में प्रो.सूर्यप्रसाद दीक्षित, पद्मश्री विद्या विंदु सिंह, अशोक चौधरी, महेंद्र भीष्म, डा.हरिशंकर मिश्रा, डा.अलका प्रमोद व वीबी पाण्डेय ने विचार व्यक्त किये। इरा पत्रिका के समारोह में आंखों में समंदर, पानी पे आग बोते हुए, टूटती जंजीरें, और मौन जब मुखरित हुआ जैसी किताबों का विमोचन हुआ। काव्य समारोह में दीन बंधु, वंदना शर्मा, पवन श्रीवास्तव, मो.सिद्दीकी, नीरजा नीरू, अनुश्री, फुरकान, मनोज, अजय आदि ने अशआरों की शानदार महफिल सजायी।