दास्तान ए अशफाक ले गई इतिहास की गलियों में और नौजवानों की इंकलाबी कुर्बानियां के बीच
लखनऊ। आज इप्टा लखनऊ की ओर से कैफी आजमी एकेडमी में दास्तान ए अशफाक का आयोजन हुआ , इप्टा के दास्तानगो शहजाद रिजवी और फरजाना महदी ने काकोरी एक्शन के नायक अशफाक उल्ला खां पर फोकस दास्तान ए अशफाक पेश की जिसे असगर मेंहदी ने लिखा था। कार्यक्रम की शुरूआत रंगकर्मी अनिल रस्तोगी, आलोचक वीरेंद्र यादव और प्रोफेसर नदीम हसनैन, राकेश वेदा और वीना राना द्वारा कैफी आजमी की मूर्ति पर दीप जलाने से हुआ । इसके बाद एक युवा बच्ची तनिषा द्वारा इप्टा और बापू के लोग द्वारा देश भर में चलाए जा रहे सद्भाव अभियान में शामिल होने की अपील करते हुए दिया जलाया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए इप्टा के राष्ट्रीय कमेटी सदस्य दीपक कबीर ने दर्शकों को दास्तान की भूमिका और दास्तानगो के परिचय बताते हुए कहा कि ये दास्तानें आज के दौर में भी जगह जगह करने की जरूरत है। दास्तान की शुरूआत करते हुए शहजाद रिजवी ने बोलना शुरू किया। बिस्मिल और अशफाक को शायरी ही नहीं बल्कि उनकी सोशलिज्म के प्रति मुहब्बत भी बहुत करीब लाई। आगे फरजाना महदी ने काकोरी एक्शन की एक एक पहलू को बताते हुए ऐसा मंजर खींचा कि लोगों को लगा जैसे वो सब कुछ अपने सामने होता हुआ देख रहे हैं।
इस दास्तान में मौलवी अहमदुल्ला के वाकिए से शुरू करके शाहजहांपुर के नौजवान ,मैनपुरी केस, काकोरी केस, उसके मुकदमे, उनकी फरारियों पर दिलचस्प अंदाज में सुनाया गया, और जब दास्तान अपने उरूज पर फांसी के वाकिए तक पहुंची तो लोगों की आंख में आंसू आ गए । अशफाक उल्ला के वकील हजेला साहेब से जिरह भी लोगों को बहुत जानकारियों से भरी थी। एक घंटे लंबी इस दास्तान को देखने शहर भर से लोग रजिस्ट्रेशन करा के आए थे जिनमें बड़ी संख्या में कलाकार, छात्र, बुजुर्ग, साहित्यकार इत्यादि शामिल थे जिनमें शिक्षिका उपमा चतुर्वेदी, अंशु केडिया , रॉबिन वर्मा, संगीता जायसवाल, वेदा राकेश, सुनीता, ज्ञान चंद्र शुक्ला, राजेश श्रीवास्तव, राजू पांडे, रिजवान अली, फरीद, महिंदर पाल, भारतेंदु कश्यप, राकेश वर्मा, विश्वास यादव आदि प्रमुख थे ।