अभिषेक बाजपेयी
लखनऊ। लखनऊ ने शनिवार को अरुण जेटली के रूप में अपना राज्यसभा सदस्य खो दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने वाले अरुण जेटली का निधन हो गया है। पुराने लोग बताते हैं कि छात्र नेता के समय से ही जेटली उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए थे। प्रदेश के लिए अरुण जेटली और अरुण जेटली के लिए उत्तर प्रदेश अनजान नहीं थे। एक समय था जब प्रदेश में विकास के मामलों पर अरुण जेटली की राय जरूर ली जाती थी।
लखनऊ से राज्यसभा सदस्य होने के अलावा जिले से जुड़ा रायबरेली उनका नोडल जिला था। उन्होंने प्रदेश में विद्यार्थी परिषद के लिए काफी काम किया। उत्तर प्रदेश व राजधानी लखनऊ में चुनाव प्रचार के लिए उनका आना-जान लगा रहता था। साल 2004-05 में वे भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी भी बनाए गए थे। बतौर जेटली के प्रतिनिधि, भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेई के अनुसार वे अप्रैल 2018 में लखनऊ से राज्यसभा सांसद के तौर पर चुने गए थे। बाजपेई बताते हैं कि उसके तुरंत बाद जेटली ने रायबरेली को अपने नोडल जिले के तौर चुना। वो बताते हैं, ‘इसी साल 30 जुलाई को हमारी जेटली से मुलाकात हुई, जिसके दौरान हमने उनको करीब 200 जगह सोलर लाइट लगवाने के सूची दी थी। उस समय मुलाकात के बाद जेटली ने वो सूची जिलाधिकारी को भेजने के निर्देश दिए थे। हमारी उनसे वो आखरी मुलाकात थी।’ असल में जेटली ने अपनी 5 करोड़ स्थानीय विकास निधि को संप्रग की चेयरपर्सन और रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में खर्च करना चाहते थे।
नोडल जिला चुनने के बाद बाजपेई को स्थानीय लोगों से बात करके ऐसी मुद्दों के बारे में जानकारी लेने को कहा था, जिन पर तुरंत ध्यान देने की जरुरत हो। जेटली की स्थानीय निधि से लगभग 2.5 करोड़ रुपये जारी भी कर दिया गया था। दिवाली के समय जेटली रायबरेली आना भी चाहते थे, लेकिन कुछ कारणों से उनका दौरा ताल गया था। इसी बीच पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन से दुखी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार और रविवार के बचे हुए सारे कार्यक्रम निरस्त कर दिए और वे दिल्ली रवाना हो गए। 66 साल के जेटली को सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत के बाद नौ अगस्त को एम्स लाया गया था। एम्स ने 10 अगस्त के बाद से जेटली के स्वास्थ्य पर कोई बुलेटिन जारी नहीं किया था। जेटली ने खराब स्वास्थ्य के चलते 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था।