नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अभिनेता अमिताभ बच्चन को रविवार को यहां राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।
इससे पहले बच्चन को गत सोमवार को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में यह सम्मान प्राप्त करना था लेकिन अस्वस्थता के कारण 77 वर्षीय अभिनेता इस समारोह में शामिल नहीं हो सके थे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने घोषणा की थी कि रविवार को एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति बच्चन को इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अंतर्गत दस लाख रुपए नकद, स्वर्ण कमल पदक और एक शॉल प्रदान की जाती है।
अभिनेता ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुनने को लेकर सरकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के जूरी सदस्यों का धन्यवाद व्यक्त किया। इस मौके पर बच्चन ने अपने भाषण में कहा, भगवान मेरे प्रति दयालु रहे हैं, मेरे माता-पिता का आशीर्वाद मेरे साथ है, उद्योग के फिल्मकारों, निर्माताओं और सह कलाकारों का सहयोग मेरे साथ रहा है। मैं भारतीय दर्शकों के प्रेम और उनसे लगातार मिलने वाले प्रोत्साहन के लिए कृतज्ञ् हूं। उनकी वजह से मैं यहां खड़ा हूं। मैं अत्यंत विनम्रता एवं कृतज्ञ्ता के साथ यह पुरस्कार स्वीकार करता हूं।
हिंदी फिल्म जगत में वर्ष 1969 में सात हिंदुस्तानी फिल्म से अपने करियर की शुरूआत करने वाले बच्चन अपनी पत्नी एवं सांसद जया बच्चन और पुत्र अभिषेक बच्चन के साथ समारोह में शामिल हुए। पांच दशक के अपने फिल्मी करियर में बच्चन शीर्ष पर बने रहे और फिल्मों में यादगार काम के जरिए अपने प्रशंसकों को हैरान करते रहे। प्रसिद्ध हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर 1942 में जन्मे बच्चन ने एक अभिनेता के रूप में सात हिंदुस्तानी फिल्म से अपने करियर की शुरूआत की। हालांकि, इस फिल्म को बॉक्स आफिस पर सफलता नहीं मिल पाई थी। कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद अभिनेता ने 1973 में प्रकाश मेहरा की एक्शन फिल्म जंजीर के जरिए आखिरकार सफलता का स्वाद चखा। इस फिल्म ने उन्हें एंग्री यंग मैन के रूप में पहचान दिलाई।
इसके बाद उन्होंने दीवार, शोले, मिस्टर नटवरलाल, लावारिस, मुकद्दर का सिकंदर, त्रिशूल, शक्तिऔर काला पत्थर जैसी फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी के जरिए दर्शकों के दिलों में अपनी एक अलग छाप छोड़ी। बच्चन ने अभिमान, मिली, कभी-कभी और सिलसिला जैसी फिल्मों में संवेदनशील भूमिकाएं अदा कीं। उन्होंने नमक हलाल, सत्ते पे सत्ता, चुपके चुपके और अमर अकबर एंथनी जैसी फिल्मों के जरिए कॉमेडी में भी हाथ आजमाए। अस्सी के दशक के दौरान उनके करियर में आए उतार-चढ़ाव के बाद 1990 में मुकुल एस आनंद की फिल्म अग्निपथ में बच्चन ने गैंगस्टर विजय दीनानाथ चौहान की बेहतरीन भूमिका अदा की, जिसके लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
अभिनेता ने 2000 के दशक में चरित्र भूमिकाएं निभाना शुरू किया और 2001 में आदित्य चोपड़ा निर्देशित फिल्म मोहब्बतें में उन्होंने श्वर्या राय के पिता की भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने गेम शो कौन बनेगा करोड़पति की मेजबानी के जरिए टेलीविजन क्षेत्र में अपने करियर की शुरूआत की। अभिनेता साथ ही फिल्मों में भी काम करते रहे। उन्होंने आंखें, बागबान, खाकी, सरकार, ब्लैक,पा पीकू और पिंक जैसी फिल्मों में भी अपने अभिनय के जौहर दिखाए। सरकार ने बच्चन को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1984 में पद्म श्री, 2001 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।