back to top

अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लिक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार

स्टॉकहोम। अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लिक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। वर्ष 2016 में बॉब डिलन के बाद वह पहली अमेरिकी विजेता बन गई हैं। नोबेल समिति ने ग्लिक के रचना कार्य की सराहना की जिन्हें यह पुरस्कार शानदार काव्य शैली के लिए दिया गया है, जो व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक पहचान दिलाती है और जिसमें सादगी भरी सुंदरता का अप्रतिम वर्णन है।

स्वीडिश एकेडमी के स्थाई सचिव मैट्स माल्म ने स्टॉकहोम में बृहस्पतिवार को साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की। नोबेल एकेडमी ने कहा कि न्यूयॉर्क में जन्मीं ग्लिक ने 1968 में अपनी पहली रचना फर्स्टबॉर्न लिखी और वह जल्द ही अमेरिकी समकालीन साहित्य के सर्वाधिक जाने-माने कवियों की श्रेणी में शामिल हो गईं। ग्लिक (77) एल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं।

एकेडमी ने कहा कि उनकी कविताएं प्राय: बाल्यावस्था, पारिवारिक जीवन, माता-पिता और भाई-बहनों के साथ घनिष्ठ संबंधों पर केंद्रित रही हैं। इसने कहा कि 2006 में आया उनका संग्रह एवर्नाे एक शानदार संग्रह है जो मृत्यु के देवता हेड्स की कैद में नरक में पर्सफेनी की मिथक :यूनानी पौराणिक कथा: की शानदार व्याख्या है। नोबेल साहित्य समिति के अध्यक्ष एंडर्स ओल्सन ने कहा कि ग्लिक के 12 कविता संग्रह हैं जिनमें स्पष्टता की चाहत दिखती है।

ओल्सन ने कहा कि इनमें डिसेंडिंग फिगर और द ट्राइंफ ऑफ एकिलेस जैसे संग्रह शामिल हैं। उन्होंने ग्लिक की सराहना करते हुए कहा, उनकी आवाज शानदार और दृढ़ है। यह पुरस्कार कई साल के विवाद के बाद दिया गया है। वर्ष 2018 में यह पुरस्कार तब टाल दिया गया था जब स्वीडिश एकेडमी यौन शोषण के आरोपों से हिल उठी थी और इसके सदस्यों को सामूहिक रूप से इस्तीफा देना पड़ा था।

नोबेल फाउंडेशन ट्रस्ट का विश्वास पुन: प्राप्त करने के लिए एकेडमी ने खुद का पुनर्गठन किया और फिर पिछले साल दो विजेताओं का चयन किया गया। 2018 का पुरस्कार पोलैंड की ओल्गा तोकरजुक और 2019 का पुरस्कार ऑस्ट्रिया के पीटर हैंडके के खाते में आया। हैंडके के पुरस्कार को लेकर विरोध भड़क उठा। 1990 के दशक के बाल्कन युद्घ के दौरान सर्ब बलों के समर्थक रहे हैंडके को सर्ब युद्घ अपराधों का समर्थक कहा जाता रहा है।

अल्बानिया, बोस्निया और तुर्की सहित कई देशों ने विरोध में नोबेल पुरस्कार समारोह का विरोध किया और साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए साहित्यकारों का चयन करने वाली समिति के एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया। नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 8.20 करोड़ रुपये) की राशि दी जाती है।

स्वीडिश क्रोनर स्वीडन की मुद्रा है। यह पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है। इससे पहले, रसायन विज्ञान और भौतिकी सहित कई क्षेत्रों में इस साल के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जा चुकी है। शांति एवं अर्थशास्त्र के क्षेत्र में इस पुरस्कार की घोषणा की जानी अभी बाकी है।

RELATED ARTICLES

एनएलसी इंडिया का जुलाई-सितंबर तिमाही में मुनाफा 26.2 प्रतिशत घटकर 724.80 करोड़ रुपये

नयी दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएलसी इंडिया लिमिटेड का जुलाई-सितंबर तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ 26.2 प्रतिशत घटकर 724.80 करोड़ रुपये रह गया।कंपनी...

हमारा संकल्प और प्रतिबद्धता है घोषणापत्र, हर वादा होगा पूरा : तेजस्वी

पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने बुधवार को कहा...

सीवान में बोले सीएम योगी- बिहार में ‘जंगल राज’ की वापसी को रोकेगा राजग

सीवान (बिहार)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि बिहार में “डबल इंजन की सरकार” अराजकता फैलाने वालों को कतई...

गोपाष्टमी आज, भक्त करेंगे गौ माता की पूजा

गोपूजा और गोसेवा के लिए अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया हैलखनऊ। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप...

मासिक दुर्गाष्टमी आज, होगी मां अंबे की आराधना

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता हैलखनऊ। हर महीने मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस महीने की...

कथक नृत्य का प्रचार-प्रसार किया जाये

बिरजू महाराज कथक संस्थान की हुई बैठकलखनऊ। बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ की कार्यकारी परिषद एवं सामान्य परिषद समिति की बैठक 29 अक्टूबर को...

धर्म की रक्षा के लिए संगठित होकर लड़ना अति आवश्यक है

श्री शिव महापुराण कथा का पांचवा दिन लखनऊ। अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा, लखनऊ के तत्वावधान में ज्ञान सरोवर विधालय, वृंदावन योजना, रायबरेली रोड, कालिन्दी पार्क...

बुझ नहीं सकता वह दीपक, हृदय से जिसे जलाया है…

राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह का आयोजनलखनऊ। राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उप्र द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर काव्य/शपथ...

दर्शन और अध्यात्म की हर अवधारणा को दर्शाता है ‘महादेव’

एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में नाटक का मंचनलखनऊ। कारवां थिएटर ग्रुप द्वारा निर्मित नाटक महादेव का मंचन एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में...