शैलेन्द्र श्रीवास्तव लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अभी से तैयारियां शुरू हो गयी हैं, सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। जहां BJP की नजर सबसे ज्यादा लोकसभा सीट पर उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई है, वहीं सपा भी पूरी ताकत के साथ सत्ताधारी दल को टक्कर देने की तैयारी कर रही है। उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें आती हैं। BJP ने 2024 में सभी 80 सीटों पर विजय हासिल करने का लक्ष्य रखा है, तो वहीं तमाम विपक्षी दल सपा, बसपा और कांग्रेस भी अपनी ताल ठोंक रहे हैं।
इधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव विपक्ष को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। ऐसे राजनीति में संभावनायें हमेशा बनी रहती हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि विपक्ष की एकता के तहत एक बार फिर अखिलेश यादव बसपा सुप्रीमो मायावती से नजदीकियां बढ़ा सकते हैं। इसके लिए कुछ दिन पहले अखिलेश की ओर से एक ट्वीट किया गया था, जिसमें इशारों इशारों में मायावती को भी संदेश देने का प्रयास था। माना जा रहा है कि प्रदेश के दो प्रमुख दल 2019 लोकसभा चुनाव की तरह एक बार फिर चुनाव लड़ने के लिए एक मंच पर आ सकते हैं। इस बार चुनाव में प्रदेश ही देश के विपक्षी दल एक मंच पर लाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि इस बैठक में उत्तर प्रदेश से अखिलेश यादव और रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को ही निमंत्रण था लेकिन विपक्ष को और मजबूत करने के लिए अखिलेश मायावती को भी अपने पाले में लाने का प्रयास कर सकते हैं।
2019 का लोकसभा चुनाव बेहद अहम रहा
प्रदेश की राजनीति के लिहाज से 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद अहम रहा था, इस चुनाव में पहली भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए प्रदेश की दो सबसे बड़ी सियासी अदावत वाली पार्टियों सपा-बसपा ने हाथ मिला लिया था। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मायावती और अखिलेश कभी एक साथ एक मंच पर आयेंगे, लेकिन 2019 में ऐसे हुआ। माना जा रहा था कि इन दोनों के हाथ मिलाने से BJP को जबरदस्त झटका लगेगा लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ था। प्रदेश में BJP की ऐसी आंधी चली कि गठबंधन हवा हो गया।
वहीं कांग्रेस का तो बुरा हाल हो गया था। 2019 में BJP के समीकरण के आगे विपक्षी दलों के सारे दांव पेंच फेल हो गये। BJP ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से 62 सीटों पर पार्टी कमल खिलाने में कामयाब हो गयी। वहीं BJP की सहयोगी अपना दल एस को दो सीटों पर जीत हासिल हुई। सपा-बसपा गठबंधन कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाया। बसपा के खाते में जहां 10 सीटें आयी तो वहीं सपा को सिर्फ पांच सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस को तो प्रदेश में तगड़ा झटका लगा। भाजपा ने राहुल गांधी की पारंपरिक सीट अमेठी को भी छीन लिया और कांग्रेस महज एक रायबरेली सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी, जहां से सोनिया गांधी ने चुनाव जीता। ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस मुकाबले में भी दिखायी नहीं दी।
सपा ने जिन पांच सीटों पर जीत हासिल की थी वो हैं मैनपुरी, रामपुर, आजमगढ़, संभल और मुरादाबाद। इनमें से आजमगढ़ और रामपुर सीट से अखिलेश यादव और आजम खान के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में BJP के खाते में चली गयी। वहीं मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा की डिंपल यादव मैनपुरी सीट को बचाने में कामयाब रहीं। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस बार अखिलेश और मायावती एक बार फिर साथ आते है तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो जाने की पूरी संभावना हैं।